बलपूर्वक धर्मांतरण को राजनीतिक रंग न दें !

सर्वोच्च न्यायालय ने तामिलनाडू सरकार को फटकारा !

नई देहली – ‘बलपूर्वक धर्मांतरण किसी एक राज्य का प्रश्‍न नहीं है । इसलिए उसे राजनीतिक रंग न दें’, इन शब्दों में सर्वोच्च न्यायालय ने तामिलनाडू सरकार को फटकारा । बलपूर्वक एवं लालच दिखाकर किए गए धर्मांतरण के विरुद्ध भाजपा के नेता एवं अधिवक्ता श्री. अश्‍विनी उपाध्याय द्वारा प्रविष्ट की गई याचिका पर सुनवाई के समय न्यायालय ने तामिलनाडू सरकार को फटकारा । अधिवक्ता श्री. अश्‍विनी उपाध्याय ने याचिका प्रविष्ट करते समय धर्मांतरण के विरुद्ध कानून बनाने की मांग की है । सर्वोच्च न्यायालय ने ‘एटॉर्नी जेनरल’ आर. व्यंकटरमानी को इस प्रकरण में सहायता करने के लिए कहा है । अगली सुनवाई ७.२.२०२३ को होगी । इससे पूर्व ही इस प्रकरण में न्यायालय ने केंद्र सरकार को शपथपत्र प्रस्तुत करने को कहा था; परंतु केंद्र सरकार ने अभी तक वह प्रस्तुत नहीं किया है ।

१. सुनवाई के समय तामिलनाडू सरकार के द्वारा ज्येष्ठ अधिवक्ता पी. विल्सन ने न्यायालय में पक्ष रखते हुए कहा कि यह याचिका राजनीति से प्रेरित है । हमारे राज्य में बलपूर्वक धर्मांतरण नहीं होता है ।

२. तभी न्यायालय ने कहा ‘आप सुनवाई को भिन्न दिशा देने का प्रयास न करें । संपूर्ण देश का विचार करने के पश्चात हम चिंतित हैं । यदि आपके राज्य में धर्मांतरण होता है, तो वह बुरा है तथा यदि न होता हो, तो अच्छी बात है । एक राज्य को लक्ष्य करने की दृष्टि से इसे न देखें । इसे राजनीतिक रंग न दें’ ।

३. न्यायालय ने ‘एटॉर्नी जेनरल’ आर. व्यंकटरमानी को कहा कि बलपूर्वक अथवा लालच दिखाकर किए जानेवाले धर्मांतरण के प्रकरणों को ढूंढना होगा । केंद्र सरकार को यह समस्या सुलझाने में सहायता करनी चाहिए ।

४. इस याचिका की विगत सुनवाई के समय सर्वोच्च न्यायालय ने ‘बलपूर्वक धर्मांतरण, देश की सुरक्षा के लिए संकट है’, ऐसा कहते हुए केंद्र सरकार को इसके विरुद्ध कठोर कदम उठाने के लिए कहा था ।

धर्मांतरण संपूर्ण देश की समस्या !

गुजरात सरकार ने विवाह के लिए धर्मांतरण करने के पूर्व जिलाधिकारी से अनुमति लेने का कानून पारित किया था । गुजरात उच्च न्यायालय ने अब उसे निलंबित कर दिया है । इस निलंबन के विरुद्ध गुजरात सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की है । सरकार का कहना है कि धर्मस्वतंत्रता में धर्मांतरण का अधिकार नहीं है । धर्मांतरण संपूर्ण देश की समस्या है तथा उसकी ओर ध्यान देने की आवश्यकता है ।

संपादकीय भूमिका

न्यायालय को ऐसा कहना पडे, यह तामिलनाडू सरकार के लिए लज्जास्पद !