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नई दिल्ली – ९ दिसंबर, २०२२ की रात्रि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिकों ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग के यांग्त्से सीमा क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा का उल्लंघन किया। इस घुसपैठ करने के कारण भारतीय सैनिकों से उनका सामना हुआ । भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों को घुसपैठ करने से रोका और उन्हें पीछे हटने पर विवश कर दिया। इस झडप में दोनों पक्षों के सैनिक घायल हुए । एक भी भारतीय सैनिक के प्राणोत्सर्ग नहीं हुए अथवा कोई गंभीर रूप से घायल भी नहीं हुआ। इसके उपरांत स्थानीय कमांडरों की ११ दिसंबर को चीनी सेना के साथ फ्लैग मीटिंग हुई । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने १३ दिसंबर को लोकसभा को सूचित किया कि चीन से कहा गया था कि, वह ऐसा काम न करे और शांति बनाए रखे। इससे पहले विपक्षी दलों ने संसद में इस मुद्दे पर बडा उपद्रव किया ।
My Statement in Rajya Sabha
https://t.co/Ju3Zyp4DhM— Rajnath Singh (@rajnathsingh) December 13, 2022
एक इंच भूमि भी लेने नहीं देंगे ! – गृह मंत्री अमित शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद के बाहर कहा कि चीन ने भारत की एक इंच भूमि पर भी नियंत्रण नहीं किया है और हम ऐसा नहीं होने देंगे। हमारे जवानों ने शौर्य दिखाया। सेना ने शीघ्र ही घुसपैठियों का पीछा किया और उन्हें खदेड कर भूमि पर नियंत्रण कर लिया। कांग्रेस ने लोकसभा में प्रश्नकाल नहीं होने दिया। सरकार ने उनसे कहा था कि ‘हम आपको उत्तर देंगे।’ इसके उपरांत भी उन्होंने संसद का सामान्य काम-काज नहीं होने दिया। मैंने प्रश्नकाल की सूची देखी और प्रश्न संख्या ५ देखकर मुझे कांग्रेस की चिंता समझ में आई ! प्रश्नों में से एक विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफ.सी.आर.ए.) के अंतर्गत ´राजीव गांधी प्रतिष्ठान´ को अनुज्ञा से मुक्त करने के संबंध में था। ´राजीव गांधी प्रतिष्ठान´ को वर्ष २००५-२००६ एवं २००६-२००७ आर्थिक वर्षों की कालावधि में १ करोड २० लाख रुपये का अनुदान मिला। संपूर्ण कानूनी प्रक्रिया के आधार पर गृह मंत्रालय ने उसे अपंजीकृत कर दिया है । यह राशि चीनी दूतावास से कांग्रेस दल को मिली थी। इस राशि का उपयोग भारत-चीन संबंधों के विकास पर शोध के लिए किया गया है। वर्ष १९६२ में कांग्रेस के शासन काल में चीन ने भारत की सैकडों एकड़ जमीन हड़प ली थी।
– नेहरू जी के कारण सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की बलि चढ़ गई।
– 1962 में भारत की हजारों हेक्टेयर भूमि चीन ने हड़प ली।
– 2006 में भारत में चीन के दूतावास ने पूरे अरुणाचल और नेफा पर दावा कर दिया था।
अब देश में मोदी सरकार है, हमारी एक इंच भूमि भी कोई नहीं ले सकता। https://t.co/cNgBqQMxDK
— Amit Shah (@AmitShah) December 13, 2022
वायुसेना ने ३ बार चीनी ड्रोन की घुसपैठ को निष्प्रभ किया !
तवांग में भारत-चीन सैनिकों के बीच गतिरोध के उपरांत भारतीय वायुसेना ने अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर लड़ाकू विमानों की उड़ानें प्रारंभ कर दी हैं। ९ दिसंबर के गतिरोध से पहले चीन ने अरुणाचल की सीमा में ड्रोन भेजने का असफल प्रयास किया था। उसके उपरांत भारतीय वायुसेना ने सीमा क्षेत्र में लडाकू विमानों को तैनात किया । भारतीय लड़ाकू विमानों ने गत कुछ सप्ताहों में यहां सेना की चौकियों की ओर उड़ रहे चीनी ड्रोन को २-३ बार खदेडा है।
सरकार ने संसद को पहले से सूचना क्यों नहीं दी? – सांसद ओवैसी का प्रश्न
एम.आई.एम. सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने तवांग प्रकरण में कहा कि भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच ९ दिसंबर को झड़प हुई थी। सरकार ने उसी दिन संसद को इसकी सूचना क्यों नहीं दी ? जब इस समय संसद का सत्र चल रहा था ? ३ दिन उपरांत सामाजिक माध्यम हमें बता रहे हैं, ‘हमारे वीर जवान घायल हैं।’ हमें देश की सेना पर पूरा भरोसा है, किन्तु देश में अशक्त नेतृत्व है। चीन का नाम लेते ही मोदी सरकार भयग्रस्त हो जाती है।
The reports coming from Arunachal Pradesh are worrying and alarming. A major clash took place between Indian and Chinese soldiers and the government has kept the country in the dark for days. Why was the Parliament not informed, when it is in session? https://t.co/tRyn0LvgOM
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) December 12, 2022
भारतीय सीमा पर स्थिति स्थिर! – चीन
समाचार एजेंसी ‘ए.एफ.पी.’ ने वृत्त दिया है कि चीन ने तवांग प्रकरण में ‘सीमा पर स्थिति स्थिर’ होने की बात कही है। उधर चीनी सामाजिक माध्यमों ने तवांग सीमा पर हुई झड़प के संबंध में कोई समाचार प्रकाशित नहीं किया है। चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के अंग्रेजी संस्करण के संपादक हू शिजिन का एक स्तंभ चीनी सामाजिक माध्यमों पर घूम रहा है। इसमें कहा गया है कि ‘भारत और चीन के बीच संघर्ष में किसी प्रकार की प्राणहानी नहीं हुई है।’
संपादकीय भूमिकाचीन ऐसे आधिकारिक प्रतिपादन करता ही रहेगा । जब तक उसे उचित पाठ पढ़ाया नहीं जाता तब तक उसके उपद्रव नहीं रुकेंगे । भारत को उसके लिए सघन प्रयास करना चाहिए ! |