‘हिन्दू कांवडा यात्रा निकालकर यातायात बाधित कर सकते हैं, तो हम रास्ते पर नमाज क्यों नहीं पढ सकते ?’

एम.आई.एम. के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष शौकत अली का प्रश्न

एम.आई.एम. के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष शौकत

मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) – यदि हिन्दू कावड यात्रा निकालकर यातायात बाधित कर सकते हैं, तो हम रास्ते पर नमाज क्यों नहीं पढ सकते ? ऐसा प्रश्न एम.आई.एम. के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष शौकत अली द्वारा किए जाने का एक वीडियो सामाजिक माध्यमों द्वारा प्रसारित हुआ है । बताया जा रहा है कि यह वीडियो कुछ दिन पूर्व राज्य में हुए स्थानीय स्वराज्य संस्था के चुनाव के समय मुरादाबाद में हुई एक सभा के समय का है ।

शौकत अली ने आगे कहा कि, कावड यात्रा के कारण १ माह राष्ट्रीय राजमार्ग बंद था और पुलिस अधिकारी कावड यात्रियों के पांव दबा रहे थे । हमें इस पर कोई भी आपत्ति नहीं; लेकिन जब किसी ‘मॉल’ में अथवा रास्ते पर नमाज पढी जाती है, तब बवाल किया जाता है । कुछ लोगों को तो हमारे ‘अजान’ के कारण भी (नमाज पढने के लिए किया जाने वाला आवाहन) कष्ट होता है । एक देश में दो कानून हैं क्या ? (इस देश में दो कानून हैं, एक मुसलमानों के लिए और दूसरा हिन्दुओं के लिए ! यदि मुसलमानों को यह स्वीकार नहीं, तो उन्हें समान नागरिक कानून की मांग करनी चाहिए ! नमाज पढने को लेकर शौकत अली को दो कानून दिखते हैं; लेकिन अनेक पत्नियां करना, अनेक बच्चों को जन्म देना, तलाक के समय कानून नहीं दिखता, यह भली भांति समझें ! – संपादक) यदि हिन्दू कांवडा यात्रा निकालकर यातायात बाधित कर सकते हैं, तो हम रास्ते पर नमाज क्यों नहीं पढ सकते ?

संपादकीय भूमिका

  • कांवड यात्रा के कारण यातायात बाधित न होते हुए भी जानबूझकर ऐसे विधान कर हिन्दुओं को दोषी ठहराने का प्रयास शौकत अली कर रहे हैं । कांवड यात्रा वर्ष में एक बार ही होती है, जबकि नमाज प्रतिदिन ५ बार होती है, इस विषय में वे नहीं बोलते, यह समझें !
  • ‘जिन्हें रास्ते पर नमाज पढनी है उन्हें इस्लामी देशों में जाना चाहिए’, ऐसा कोई कहे, तो गलत नहीं होगा !