भारत के ६ राज्य तथा ३ केंद्रशासित प्रदेश में हिन्दू अल्पसंख्यक होने की मांग करने के संदर्भ में सर्वाेच्च न्यायालय का प्रकरण
नई देहली – भारत में ऐसे राज्य तथा केंद्रशासित प्रदेश, जहां हिन्दू अल्पसंख्यक हो गए हैं, वहां उन्हें अल्पसंख्यकों का स्तर देने के संदर्भ में विचार करने हेतु केंद्र सरकार ने सर्वाेच्च न्यायालय से और समय मांगा है । केंद्र का कहना है कि यह विषय संवेदनशील है तथा इसके परिणाम दूरगामी हाेंगे । अधिवक्ता (श्री.) अश्विनी उपाध्याय तथा अन्य याचिकाकर्ताओं की याचिकाओं पर ३१ अक्तूबर को न्यायालय में सरकार ने चतुर्थ प्रतिज्ञापत्र प्रस्तुत किया । इस सरकार ने कहा है कि अभी तक १४ राज्य एवं ३ केंद्रशासित प्रदेश द्वारा इस विषय में टिप्पणी आई है तथा अन्य राज्यों को इस संदर्भ में स्मरणपत्र भेजा गया है । सुनवाई के उपरांत न्यायालय ने केंद्र सरकार को इस प्रकरण में ६ माह की समय मर्यादा दी है ।
Minority Tag for Hindus | The Centre said it had received comments from 14 states and 3 Union Territories on the issue so far, and has sent reminders to others to send in their views at the earliest.
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— The Indian Express (@IndianExpress) November 2, 2022
१. दूसरी ओर याचिकाकर्ताओं का कहना है कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, १९९२ के अंतर्गत जो विचार चल रहा है, वह किसी भी राज्य में किसी को भी अल्पसंख्यक का स्तर नहीं दे सकता ।
२. इससे पूर्व सर्वाेच्च न्यायालय ने कहा था कि धार्मिक अथवा भाषिक अल्पसंख्यकों की निश्चिति जिला स्तर पर न होकर राज्य स्तर पर होनी चाहिए । वर्ष १९९३ की अधिसूचना में केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर मुसलमान, सिक्ख, जैन, बौद्ध एवं पारसी समाज को अल्पसंख्यक घोषित किया था । याचिका में इसे जिला स्तर पर निश्चित करने की मांग की गई है ।
इन स्थानों पर हैं हिन्दू अल्पसंख्यक !याचिकाकर्ताओं ने कहा कि लद्दाख में १ प्रतिशत हिन्दू हैं, मिजोरम में २.७५ प्रतिशत, लक्षद्वीप २.७७ प्रतिशत, कश्मीर ४ प्रतिशत, नागालैंड ८.७४ प्रतिशत, मेघालय ११.५२ प्रतिशत, अरुणाचल प्रदेश २९ प्रतिशत, पंजाब ३८.४९ प्रतिशत, एवं मणिपुर में ४१.२९ प्रतिशत हिन्दू रहते हैं । |