‘भाग्यनगर में श्री दुर्गादेवी की मूर्ति को तोडनेवाली मुसलमान महिला मनोरोगी !’ – पुलिसकर्मियों का दावा

भाग्यनगर (तेलंगाना) – यहां के खैराताबाद में २७ सितंबर को बुरखा पहनी दो मुसलमान महिलाओं को श्री दुर्गादेवी की मूर्ति को तोडने के कारण नियंत्रण में लिया गया था । इस प्रकरण में पुलिस उपायुक्त राजेश कुमार ने कहा कि ये दोनों मनोरोगी हैं । इससे पूर्व इन महिलाओं पर एक चर्च के बाहर स्थापित मेरी की मूर्ति तोडने का प्रयास करने का भी आरोप है । वे वर्ष २०१८ में जेद्दा से भारत लौटी थीं । तब से उन्हें मानसिक कष्ट हो रहा है ।

१. इन दोनों महिलाओं के बंधु असीमुद्दीन ने बताया कि मेरी बहनें मनोरोगी हैं । उन्होंने इससे पूर्व कभी ऐसा नहीं किया । मैं क्षमा याचना करता हूं । चिकित्सालय में उनके उपचार चल रहे हैं ।

२. इस प्रकरण में नामपल्ली मतदाता संघ के विधायक जे.एच. मेराज ने प्रसारमाध्यमों से कहा कि मैंने इस प्रकरण में पुलिस आयुक्त से विस्तृत जांच करने की मांग की है । एक व्यक्ति ने इन महिलाओं को मूर्ति तोडते समय रोकने का प्रयास किया था । इन महिलाओं द्वारा उस व्यक्ति पर भी आक्रमण करने का आरोप है ।

संपादकीय भूमिका

  • मुसलमान जब हिन्दुओं के मंदिरों पर आक्रमण करते हैं, उस समय अधिकतर पुलिसकर्मी उन्हें ‘मनोरोगी’ सिद्ध कर हिन्दुओं का दिशाभ्रम करने का प्रयास करते हैं । अभी भी वही प्रकरण उपयोग में लाया जा रहा है, ऐसा ही कहना पडेगा !
  • यदि ये महिलाएं मनोरोगी हैं, तो उन्हें हिन्दू तथा सिक्खों की धार्मिक मूर्तियों को ही तोडने की बुद्धि कैसे आती है ? वे मस्जिद में अथवा मुसलमान की कब्रों पर जाकर वहां तोडफोड क्याें नहीं करतीं ? क्या पुलिसकर्मी इसका उत्तर देंगे ?