चीन का विधान राजनीतिक शिष्टाचार का उल्लंघन !

  • जासूसी करनेवाली चीन की नौका को श्रीलंका द्वारा उनके बंदरगाह में आने की अनुमति देने का प्रकरण

  • श्रीलंका का पक्ष लेकर भारत पर आलोचना करनेवाले भारत ने चीन को सुनाई खरी-खोटी !

नई देहली – भारत के विरोध करने के उपरांत भी श्रीलंका ने जासूसी करनेवाली चीन की नौका को उसके हंबनटोटा बंदरगाह में आने की अनुमति दी थी । एक सप्ताह तक यह नौका इस बंदरगाह में रहने के पश्चात अब वह मार्गस्थ हो गई है । इस संदर्भ में भारत ने श्रीलंका का विरोध किया था । इस पर चीन के श्रीलंका में स्थित राजदूत जेनहोंग ने भारत की आलोचना की थी । ‘श्रीलंका के राष्ट्रीय सार्वभौमिक, स्वतंत्रता तथा प्रादेशिक अखंडता का उल्लंघन नहीं सहन किया जाएगा । भारत श्रीलंका के आंतरिक विषयों में हस्तक्षेप कर रहा है’, उन्होंने भारत का नामलिए बिना ऐसा आरोप लगाया था । (श्रीलंका के संदर्भ में चीन खुले आम भारत को ऐसे शब्दों में सुनाता है, यह भारत की परराष्ट्रनीति की विफलता है । चीन को जैसे को तैसा उत्तर देने की आवश्यकता है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) इस पर अब भारत ने चीन को प्रत्युत्तर दिया है ।

कोलंबो में भारतीय उच्चायुक्त ने ट्वीट कर कहा है कि श्रीलंका को अनावश्यक दबाव डालने की नहीं, बल्कि समर्थन की आवश्यकता है । चीन के राजदूत का विधान राजनैतिक शिष्टाचार का उल्लंघन है । श्रीलंका के उत्तर में पडोस के (भारत) देश के विषय में उनका दृष्टिकोण उनके स्वयं के देश के व्यवहार का प्रतिबिंब हो सकता है’ (ऐसी नरमी से दिए गए उत्तर का चीन पर कोई भी परिणाम नहीं होगा ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)