यदि मंदिर ही कानून-व्यवस्था के लिए समस्या बन जाते हैं, तो कभी-कभी उन्हें बंद कर देना चाहिए !

मंदिर में पूजा अनुष्ठान करने को लेकर दो गुटों के बीच विवाद पर मद्रास उच्च न्यायालय का वक्तव्य !

सामाजिक माध्यमों पर न्यायालय के वक्तव्य  का हो रहा है विरोध !

चेन्नई (तमिलनाडु) – भक्त शांति की शोध में मंदिरों में जाते हैं किन्तु यदि मंदिर ही अब कानून व्यवस्था के लिए समस्या बनते जा रहे हैं तो उनका मुख्य उद्देश्य ही समाप्त हो गया है । ऐसे प्रकरण में कार्रवाई का सबसे योग्य मार्ग, इन मंदिरों को बंद करना है । मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति आनंद ने एक मंदिर में पूजा को लेकर दो समूहों के बीच विवाद पर प्रविष्ट एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इससे क्षेत्र में शांति और सामान्य स्थिति आएगी । इसका सामाजिक माध्यमों पर विरोध किया जा रहा है।

१. न्यायमूर्ति आनंद ने आगे कहा कि व्यक्ति के अहंकार को न्यून करने के लिए मंदिर में वातावरण की निर्मिति की जानी चाहिए किन्तु  इसके विपरीत मंदिर लोगों के अहंकार प्रदर्शन तथा भगवान की महत्ता को श्रेष्ठत्व न प्रदान करने से विवाद का केंद्र बनते जा रहे है।

२. यह प्रकरण एक परिवार से जुडा है । याचिकाकर्ता ने अपने परिवार के देवता के मंदिर में पूजा करने के लिए पुलिस सुरक्षा की मांग करते हुए न्यायालय में एक याचिका प्रविष्ट की थी । पूजा को लेकर दो गुटों में आपस में मारपीट हुई, इसके कारण ऎसी मांग की गई थी ।

३. इस पर राज्य सरकार के अधिवक्ताओं ने न्यायालय को बताया कि दोनों गुटों के बीच झड़प के बाद स्थिति ठीक होने तक मंदिर को बंद कर दिया गया है । इस पर न्यायालय ने कहा कि ऐसी स्थिति में मंदिर का प्रबंधन किसी अन्य उपयुक्त व्यक्ति को सौंपा जाए । जिससे दोनों समूह स्वत: को श्रेष्ठ नहीं समझेंगे ।

सामाजिक माध्यमों पर आलोचना !

क्या मस्जिद बंद करने का वक्तव्य कभी दिया गया है ?

न्यायालय के वक्तव्यों पर सामाजिक माध्यमों पर विभिन्न प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। ‘टोटल वोक’ नाम के एक ट्विटर खाते ने कहा, ‘क्या आपने कभी किसी मुसलमान न्यायाधीश को यह कहते सुना है कि ‘हर शुक्रवार को मस्जिद से पत्थर फेंके जाते हैं’, ‘ध्वनि प्रक्षेपकों का उपयोग घंटों तक किया जाता है’, ‘वहां जाकर लोग कट्टरपंथी हो जाते हैं’ ? ‘वहां दंगे भडकाने के षड्यंत्र रचे जाते हैं’, ‘सड़कें बंद की जाती हैं’, ‘बच्चों का यौन शोषण किया जाता है’ और ‘महिलाओं को अंदर जाने की अनुमति नहीं है’! इसलिए मस्जिदों का बंद कर देना चाहिए !

न्यायालय ही कभी-कभी कानून-व्यवस्था की समस्या को जन्म देते हैं !

explorer Pratss नाम के एक ट्विटर खाते ने कहा, “न्यायालय न्याय का पीठ हैं किन्तु दुर्भाग्य से अधिकतर समय वे अन्याय का कारण बन जाते हैं जो कानून और व्यवस्था की समस्या को जन्म देता है।