सामाजिक माध्यमों पर जिहादी आतंकवादी संगठनों के सहस्रों खाते !

  • इनके द्वारा ४० प्रतिशत आतंकवादियों की होती है भरती !

  • करोडों रुपए की राशि भी करते हैं इकट्ठा !

नई देहली – ‘ब्रुकिंग सेंटर फॉर मिडिल ईस्ट पॉलिसी’ के विवरण अनुसार, इस्लामिक स्टेट के ट्विटर पर लगभग ७० सहस्र खाते हैं । प्रत्येक के १ सहस्र ‘फालोअर्स’ (समर्थक) हैं । इनमें से करोडों लोग अकेले इस्लामिक स्टेट से जुडे हुए हैं, यह स्पष्ट होता है । वर्ष २०१८ के एक शोध विवरण के अनुसार फेसबुक पर इस्लामिक स्टेट के ९६ देशों में कुल १ सहस्र खाते हैं । इस्लामिक स्टेट में ४० प्रतिशत विदेशी आतंकवादियों की भरती सामाजिक माध्यमों द्वारा ही हुई है । वैश्विक स्तर पर कोई निगरानी प्रणाली नहीं है, जो साइबर विश्व पर ध्यान रखती हो । इसलिए विविध देशों में छोटे-बडे आतंकवादी संगठनों को अंतरराष्ट्रीय आंतकवादी संगठनों से संपर्क करना सहज संभव है ।

१. ‘वैश्विक आतंकवाद निर्देशांक २०२२’ के अनुसार पूरे विश्व में वर्ष २०२१ में हुए आतंकवादी आक्रमणों में २९ प्रतिशत मृतकों के लिए केवल इस्लामिक स्टेट ही उत्तरदायी है ।

२. तालिबानी भी भ्रमणभाष पर बमविस्फोट के वीडियो बनाकर ट्विटर पर अपलोड करते हैं । इसके द्वारा भरती और निधि इकट्ठा करने का काम किया जाता है । ‘युके टाइम्स’ के विवरण अनुसार यु ट्यूब, फेसबुक, वॉट्स एप एवं टेलिग्राम के माध्यमों पर वीडियो अपलोड कर ‘मर्सिडीज’ जैसे बडे प्रतिष्ठानों के विज्ञापन प्राप्त कर उसके द्वारा तालिबानी प्रति मास करोडों रुपए अर्जित करते हैं ।

३. आतंकवादी संगठनों को धन की आपूर्ति करनेवाला हज्जाज फहद अल आजमी ने तो ट्विटर पर ही उसके १७ लाख फॉलोअर्स के पास आतंकवादी गतिविधियों के लिए निधि देने का आवाहन किया था ।

४. फरवरी २०२० में अमेरिकी प्रतिष्ठान ‘ब्लैकबर्ड’ के अध्ययन के अनुसार आतंकवादी गतिविधियों को बढावा देने के लिए ४७ भाषाओं में कुल ९ लाख २७ सहस्र ९०८ ट्वीट्स की गई थीं ।

५. मार्च २०१९ को न्युजीलैंड के क्राइस्टचर्च में ५१ नागरिकों की हत्या की घटनाओं का फेसबुक पर सीधा प्रक्षेपण किया गया था तथा गत मास सामाजिक माध्यमों द्वारा उदयपुर के कन्हैयालाल का सिर काटने के समय का वीडियो प्रसारित कर लोगों को भडकाने का प्रयत्न किया गया ।

संपादकीय भूमिका

  • क्या सामाजिक माध्यमों के प्रतिष्ठानों को यह दिखाई नहीं देता ? अथवा इन आतंकवादी संगठनों से उनका भी छुपा समर्थन हैं ?
  • हिन्दुओं के संगठन तथा नेताओं के खातों को प्रतिबंधित करनेवाले फेसबुक, ट्विटर जैसे प्रतिष्ठान आतंकवादियों के संदर्भ में निष्क्रिय क्यों रहते हैं ? क्या वे इसका उत्तर दे पाएंगे ?