आगे आनेवाले भीषण आपातकाल में हिन्दुत्वनिष्ठ एवं साधकों को सात्त्विक व्यक्तियों को बचाने का प्रमुख कार्य होगा । आपत्ति में फंसे सज्जन हिन्दुओं की सर्वाेपरी सहायता करें । यह संपूर्ण कार्य किसी भी एक संगठन अथवा व्यक्ति का नहीं है । आपातकाल में हिन्दू समाज के सभी घटकों को एकत्र आकर हिन्दुओं की रक्षा के लिए यह कार्य करना होगा । ऐसा करना समाजऋण चुकाने समान है और इससे हमारी साधना भी होनेवाली है । आपातकाल में होनेवाली इस भीषण हानि के कारण कुछ लोग दु:खी होंगे; तो कुछ सोचेंगे, ‘‘इस हानि को रोकने के लिए क्या ईश्वर कुछ नहीं करेगा ?’ हमारे ध्यान में आना चाहिए कि यह आपातकाल जगभर में ईश्वरीय राज्य स्थापना होने की दृष्टि से ईश्वर द्वारा ही लाई गई योजना है । पृथ्वी के रज-तम का भार हलका कर सत्त्वगुण की प्रबलता निर्माण करने के लिए ईश्वर द्वारा बनाई उपाययोजना है; अर्थात सज्जन लोगों की दृष्टि से यह आपातकाल इष्टापत्ति समान होगा । इसलिए ‘आपातकाल योग्य है अथवा अयोग्य ?’, इसका विचार न करते हुए ‘इस आपातकाल का सामना एवं हिन्दूरक्षा का कार्य कर, ईश्वरकृपा संपादन करने का अवसर है’, ऐसा विचार हिन्दू समाज को करना चाहिए ! ऐसा प्रतिपादन सनातन संस्था के धर्मप्रचारक श्री. अभय वर्तक ने यहां किया । वे ‘सनातन संस्था का आवाहन ! : हिन्दू सामज आपातकाल की तैयारी करना’ इस विषय पर बोल रहे थे ।