एक बार पू. वामन (सनातन के दूसरे बालसंत पू. वामन अनिरुद्ध राजंदेकर) ने सद्गुरु डॉ. मुकुल गाडगीळजी से कहा, ‘‘परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी नारायण हैं । नारायण एक ‘तत्त्व’ है । वे तेजतत्त्व हैं । मैं उनके साथ बात नहीं कर सकता ।’’
(साधकों को लगता है, ‘अन्य बालकों की भांति पू. वामन परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के पास नहीं जाते अथवा उनके साथ बात नहीं करते । पू. वामन के मन में परात्पर गुरु डॉक्टरजी के प्रति आदर के कारण वे उनके साथ अन्य बालकों की भांति नहीं बोलते ।’)
– कु. श्रिया अनिरुद्ध राजंदेकर (पू. वामनजी की बहन, आध्यात्मिक स्तर ६६ प्रतिशत, आयु १० वर्ष), फोंडा, गोवा. (५.१२.२०२१)