समान नागरिक कानून असंवैधानिक !
नई देहली – ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने समान नागरिक कानून असंवैधानिक बताकर उसका विरोध किया है। उत्तराखंड सरकार द्वारा समान नागरिककानून का प्रारूप सिद्ध करने हेतु एक समिती गठित की है। तथा उत्तरप्रदेश समेत अन्य भाजपाशासित राज्यों ने इस कानून के संदर्भ में नीति अपनाने हेतु इस का अभ्यास आरंभ किया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कुछ दिन पूर्व कहा था कि,‘ समान नागरिक कानून पारित करने का समय अब आ गया है।’ इस पार्श्वभूमिपर ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस कानून का विरोध किया है।
Muslim Personal Law Board says Uniform Civil Code is unacceptable to Muslims, read details https://t.co/of2GiLJMI9
— OpIndia.com (@OpIndia_com) April 27, 2022
बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने कहा है कि, यह कानून देश के नागरिक नही स्वीकारेंगे। (मौलाना यह किस आधार पर कह रहे हैं ? – संपादक) अत: केंद्र सरकार ऐसा कोई भी कदम न उठाएं। भारत का संविधान प्रत्येक नागरिक को अपनी इच्छानुसार जीवन जीने का अधिकार देती है। यह मौलिक अधिकार है। इस अधिकार के कारण ही अल्पसंख्यकों को तथा आदिवासियों को अपनी रुढी-परंपरा, रीतियों और श्रध्दा के अनुसार अलग ‘पर्सनल लॉ’ की (व्यक्तिगत कानून की) अनुमति है। पर्सनल लॉ किसी भी प्रकार से संविधान में हस्तक्षेप नहीं करता। अपितु अल्पसंख्यक तथा बहुसंख्यक समूहों में आपसी विश्वास बनाए रखने का कार्य पर्सनल लॉ के माध्यम से होता है।
संपादकीय भूमिका
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