संप तथा बंद द्वारा जनता को लाचार मजबूर बनानेवाले कामगार संगठन उन की मांगें पूरी करवा ने हेतु संप कर रहे हैं, किंतु पूरे देश पर इस का परिणाम होने से देश की बहुत बडी हानि होती है, इस विषय में कोई भी नहीं सोचता, यही वास्तविकता है ! इस विषय में कोई एक भी कामगार संगठन कभी बात नहीं करता, यह ध्यान में रखें ! – संपादक
नई देहली – सरकारी सूत्रों के विरोध में कामगार संगठनों ने २८ तथा २९ मार्च को दो दिन राष्ट्रव्यापी संप तथा ‘भारत बंद’ घोषित किया था । २८ मार्च को देश के कुछ राज्यों में इस का मिश्रित संमिश्र परिणाम देखा गया । इसमें मे हरियाणा, बंगाल, आंध्रप्रदेश तथा तमिलनाडू इन राज्य का अंतर्भाव हैं । इन राज्यो में कामगार संगठनों द्वारा प्रदर्शन किए गए । इस ‘भारत बंद’ का रेल्वे यातायात तथा बिजली विभाग के कर्मचारियोंने समर्थन किया था । कामगार संगठनों का कहना है, कि, कुछ दिन पूर्व ही में हुए ५ राज्यों के चुनाव परिणामों से प्रसन्नखुश होकर भाजपा सरकार ने कर्मचारियों नौकरदारों के हित के विरोध में निर्णय लेना आरंभ किया है । जिसमें मे ‘ईपीएफ’ का ब्याज दर ८.५ प्रतिशत से ८.१ प्रतिशत किया गया है तथा पेट्रोल, डीजल, एल्.पी.जी, केरोसीन एवं सी.एन्.जी. के मूल्य की कीमतें अचानक बढाई गई हैं ।