लष्कर-ए-तयबा को गोपनीय दस्तावेज पहुंचाने वाले एन्.आय. ए. के वरिष्ठ अधिकारी हिरासत मे । 

हिंदुओं को आतंकवादी ठहराए गए मालेगांव बाँबस्फोट तथा समझौता एक्सप्रेस घटनाओं का किया था अन्वेषण ! 

  • ऐसे देशद्रोहियों को कठोर सजा दिलवाने हेतु सरकारने प्रयास करने चाहिए ! – संपादक
  • हिंदुओं को आतंकवाती ठहराए गए तथा नेगी द्वारा किए गए सारे अन्वेषणों का फिरसे अन्वेषण करने की मांग हिंदुओं द्वारा फिरसे की गई, तो उसमे गलत क्या है? जिहादी आतंकवादी संगठनों हेतु काम करनेवाले नेगी ने जानबूझकर हिंदुओं को फसाया ऐसा ही हिंदुओं को लगता है। ऐसी घटनाओं के कारण जनताका पुलिसपरसे बचा खुचा विश्वास भी उठ जाता है। अपने ही विभाग के आई.पी.एस. अधिकारी आतंकवादियों के संपर्क मे आने की बात की जरा सी भी भनक न लगनेवाली देश की सबसे बडी अन्वेषण यंत्रणा को क्या  कभी देश के अन्य आतंकवादी कार्रवार्सयों के बारेमे पता चलेगा? यहबात उनके लिए लज्जास्पद है ! अबतक पुलिस गुंड,चोर,डकैत,बलात्कारी,भ्रष्टाचारी होनेकी बात सर्वज्ञात थी। वेअब आतंकवादियों की सहायता करने लगी हैं ! यह जनता तथा देश को पुलिसवालों से ज्यादा धोखा है।  – संपादक

नई देहली – पाकिस्तानी जिहादी आतंकवादी संगठन ‘लश्कर-ए-तयबा को देश की राष्ट्रीय अन्वेषण यंत्रणा (एन.आय.ए.) के गोपनीय दस्तावेज सुपूर्त करनेकी घटना मे इस यंत्रणा के हिमाचल प्रदेश स्थित आर्इ.पी.एस. अधिकारी अरविंद दिग्विजय नेगी को यंत्रणा द्वारा ही हिरासत मे लिया गया। नेगी शिमला मे एन्.आई. ए. के अतिरिक्त अधिक्षक के पदपर कार्यरत थे। उन्हों ने लश्कर-ए-तयबा के एक स्थानीय आतंकवादी को गोपनीय दस्तावेज दिए थे। एन.आई.ए ने ६ नवंबर २०२१ को  नेगी के विरोध मे अपराध दर्ज किया था। तत्पश्चात उसके घर की तलाशी ले गई थी। बाद मे इस घटना मे ६ जनों को हिरासत मे लिया गया था। इस घटना मे हिंदुत्वनिष्ठों का हाथ होने की बात कही गई थी। २००८ के मालेगांव बाँबस्फोट के अन्वेषण मे उनका सहभाग था। बाद मे उन्हें हटाया गया। समझौता एक्सप्रेस बाँबस्फोट की घटनाका अन्वेषण उन्हों ने किया था। इस घटना मे स्वामी असीमानंदजी को हथकडी लगाई गई थी।