महिला न्यायाधीष द्वारा लगाए गए आरोप मे यदि सच्चाई है, तथा न्यायाधीश वासनांध हैं, तो यह मामला काफी गंभीर है। ऐसे न्यायाधीश पीडित महिलाओं के ( केसेस) किस प्रकार लडते होंगे, ऐसा विचार यदि सामान्य जनता के मन मे आए तो, यह आश्चर्य करनेवाली बात है। – संपादक
भोपाल (मध्यप्रदेश) – मध्यप्रदेश के जिला न्यायालय मे न्यायाधीश के पदपर कार्यरत एक महिला न्यायाधीशका वरिष्ठ न्यायाधीशों द्वारा लैंगिक छल किया जा रहा है। वरिष्ठों के लैंगिक अत्याचारों से पीडित इस महिला न्यायाधीश ने अपने पदसे त्यागपत्र दिया है। सर्वोच्च न्यायालय मे न्याय प्राप्त हो, इस हेतु इस महिला ने याचिका प्रविष्ट की है। इस घटनामे सर्वोच्च न्यायालय द्वारा २ न्यायाधीशों की समिति बनाई गई थी। किंतु पीडित महिला न्यायाधीश इस समिती से संतुष्ट नही थी। अत: उन्हों ने सर्वोच्च न्यायालय मे याचिका प्रविष्ट की है। महिला नकयायाधीशने जिन वरिष्ठ न्यायाधीशों के विरुद्ध याचिका प्रविष्य की थी, उनके विरुद्ध महाभियोग चलाने का प्रस्ताव संसद मे पारित हुआ था।
Indira Jaising seeks reinstatement of ADJ who accused MP HC judge of sexual harassment https://t.co/1locLBpNje
— Republic (@republic) January 28, 2022
इस महिला न्यायाधीशने कहा है कि, लैंगिक छल की घटना सामने आनेपर तत्काल अंतर्गत अन्वेशण समिती गठित करना आवश्यक था। समिती द्वारा पारदर्शी अन्वेशण होना जरूरी था, जिसका पालन नही हुआ। जिस न्यायाधीश पर लैंगिक अत्याचार का आरोप लगाया गया है, उसने पीडित महिलापर स्थानांतर हेतु दबाव डाला था , ऐसा आरोप लगाया गया है। स्थानांतर करो, नही तो त्यागपत्र दो; ऐसी सख्ती इस महिला के साथ की गई थी।
अधिवक्ता इंदिरा जयसिंग पीडित महिला न्यायाधीश की ओरसे उसके पक्षमे लडनेवाली है। उन्होंने कहा, ‘ यदि महिला न्यायाधीश के साथ कामके स्थानपर लैंगिक अत्याचार होता है, तो उसके विरूद्ध दाद मांगने हेतु कोई भी मंच उपलब्ध नही है। न्यायालय मे लैंगिक अत्याचार के विरूद्ध जो समिती बनाई गई है, वह कर्मचारी तथा अधिकारी तक ही सीमित है।