‘दारुल उलूम देवबंद’ के जालस्थल की जांच करें ! – राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग से उत्तर प्रदेश प्रशासन को निर्देश

‘देवबंद’ द्वारा अपने जालस्थल के माध्यम से दिए गए अवैध फतवों का प्रकरण !

  • ध्यान दें कि, ऐसे फतवों के संबंध में आधुनिकतावादी एक शब्द भी नहीं बोलते हैं ! – संपादक
  • ऐसे निर्देश क्यों देने पडते हैं ? इसके विरुद्ध प्रशासन स्वयं ही कार्यवाही क्यों नहीं करता ? – संपादक

लक्ष्मणपुरी (लखनऊ, उत्तर प्रदेश) – राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार को ‘दारुल उलूम देवबंद’ द्वारा जारी अवैध एवं भ्रामक फतवों के प्रकरण में उनके जालस्थल की गहन जांच करने का निर्देश दिया है । “’दारुल उलूम देवबंद’ के जालस्थल पर प्रकाशित फतवे, सीधे देश के कानूनों के विरुद्ध हैं”, ऐसी शिकायत राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग में की गई थी । तदनुसार, आयोग ने उपरोक्त निर्देश दिए हैं ।

जालस्थल का निरीक्षण करने के पश्चात, आयोग ने पाया कि, लोगों द्वारा प्रविष्ट की गई शिकायतों पर देवबंद की प्रतिक्रिया देश के कानूनों एवं विनियमों के अनुसार नहीं थी । अवैध वक्तव्य, हिंसा, दुर्व्यवहार, उत्पीडन एवं बच्चों के विरुद्ध भेदभाव की घटनाओं का प्रसार रोकने के लिए, ऐसी सामग्री जालस्थल से हटा दी जानी चाहिए । तब तक इस स्थल को बंद कर देना चाहिए । आयोग ने राज्य सरकार को ‘दारुल उलूम देवबंद’ के विरुद्ध आवश्यक कार्यवाही करने एवं आगामी १० दिनों में कार्रवाई पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है ।