‘जनरल बिपिन रावत का निधन भारत की सुरक्षा के लिए एक बडा धक्का ही है । जनरल रावत भारत के रक्षादलप्रमुख (चीफ ऑफ डिफेन्स स्टाफ) थे । स्वतंत्रता के ७० वर्ष पश्चात भारत में रक्षादल प्रमुख की नियुक्ति की गई थी । जनरल बिपिन रावत का भारत की सुरक्षा में ठोस योगदान था । उनके निधन के कारण बडी रिक्ती उत्पन्न हुई है । इसके लिए उन्हें श्रद्धांजली देनी चाहिए । उन्होंने लंबे समय तक देश की सेना में अपनी सेवाएं दीं । इस लेख के माध्मम से उनके संपूर्ण कार्य का विश्लेषण करने का प्रयास किया गया है ।
१. बिपिन रावत का जीवन परिचय
१ अ. सेनादल में प्रवेश : जनरल बिपिन रावत सैन्य पृष्ठभूमि के थे । उनके पिताजी भी सेना में ‘लेफ्टिनेंट जनरल’ थे । उन्होंने ‘गोरखा ११ राईफल’ का नेतृत्व किया था । जनरल बिपीन रावत ने भी अपने पिताजी की े रेजिमेंट में ही प्रवेश किया था । वर्ष १९७८ में उन्होंने भारतीय सेना के ‘कमिशंड ऑफिसर’ (द्वितीय श्रेणी के लेफ्टिनेंट सैन्य अधिकारी) के रूप में प्रवेश किया । सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि सेना में आने पर प्रतिदिन वे बहुत ही अच्छे प्रकार से काम कर रहे थे ।
१ आ. विविध परीक्षाओं में प्रवीणता : ‘कैडेट’ (प्रशिक्षणार्थी) थे, उस समय उन्हें ‘स्वॉर्ड ऑफ ऑनर’ का सबसे बडा पुरस्कार मिला था । (‘नेशनल डिफेन्स एकेडमी’ में प्रथम आनेवाले प्रशिक्षणार्थी को यह पुरस्कार दिया जाता है) अर्थात उन्होंने वहीं अपने सैनिकीय गुण दिखाना आरंभ किया था, साथ ही उन्होंने सेना की विविध परीक्षाओं में प्रवीणता प्राप्त की थी । ‘स्टाफ कॉलेज’ नामक एक महत्त्वपूर्ण परीक्षा में भी वे प्रथम क्रमांक से उत्तीर्ण हुए थे । उसके उपरांत उन्हें अमेरिका स्थित ‘स्टाफ कॉलेज’ में प्रशिक्षण के लिए भेजा गया था । जब यह दुर्भाग्यजनक हेलिकॉप्टर दुर्घटना हुई, तब वे तमिलनाडु स्थित वेलिंग्टन के स्टाफ कॉलेज में छात्रों को संबोधित करने के लिए जानेवाले थे । वहां मेजर एवं लेफ्टनंट कर्नल स्तर के ३५० भारतीय अधिकारी, साथ ही ७० देशों के सेना अधिकारी भी होते हैं । वे इन सभी को संबोधित करनेवाले थे ।
१ इ. प्रतिकूल परिस्थिति में लडने का प्रचंड अनुभव होना और अलग-अलग मोर्चाें पर नेतृत्व करना : भारत के युद्धाभ्यास के विषय में संसार के देशों को बहुत आकर्षण लगता है । भारत को विविध प्रकार की रणभूमि पर लडने का जितना अनुभव है, उतना किसी भी देश को नहीं है । भारतीय सेना को रेगिस्तान, ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों अथवा किसी भी कठिन परिस्थिति में लडने का बहुत बडा अनुभव है । रक्षादलप्रमुख जनरल रावत ने विदेश में यह पाठ्यक्रम पूर्ण किया था । उसके उपरांत उन्होंने भारत-चीन सीमा पर स्थित बटालियन का अत्यंत उत्कृष्ट नेतृत्व किया, साथ ही उन्होंने ब्रिगेड का नेतृत्व भी किया । उसके उपरांत उन्हें ‘यूनाइटेड स्टेट्स’ के प्रमुख के रूप में आफ्रिका भेजा गया था। वहां भी उन्होंने ‘लीडिंग फ्रॉम द फ्रंट’ (मोर्चे पर रहकर लडने की पद्धति) की पद्धति अपनाई
थी । उसके उपरांत उन्होंने कश्मीर घाटी में अत्यंत कठिन क्षेत्र में एक सेक्टर का नेतृत्व किया ।
१ ई. सुरक्षा की चुनौतियां झेलने से विविध शौर्य पुरस्कार प्राप्त होना : कश्मीर में बडी मात्रामें हिंसा हो रही थी, तब भी उन्हें बहुत बडी सफलता मिली थी । तब उन्होंने उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में डिविजन का नेतृत्व किया । जहां-जहां सुरक्षा की बडी चुनौतियां थीं,चाहे वह कश्मीर घाटी हो अथवा लद्दाख हो अथवा भारत-चीन सीमा हो, सभी स्थानों पर उन्होंने उत्कृष्ट काम
किया । इसके लिए उन्हें विविध शौर्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया । उन्होंने वास्तव में अच्छा काम किया था; इसीलिए वर्ष २०१६ में उन्हें भारत के २७ वें सेनाप्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया । इस कार्यकाल में भी उन्होंने बहुत अच्छा काम किया ।
२. मानवाधिकार कार्यकर्ता, साथ ही आतंकियों और उनके समर्थकों की अनदेखी कर राष्ट्र के लिए अच्छा काम करना
हमारे देश में अनेक मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं । विशेषरूप से वे कश्मीर और ईशान्य भारत मेंसेना को अनावश्यक उपदेश देते हैं; परंतु जनरल रावत ने ऐसे किसी को भी महत्त्व नहीं दिया । उन्होंने आतंकी और उनके समर्थकों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की । उसके कारण उन्हें कई बार इन तथाकथित विद्वानों की आलोचना झेलनी पडी; परंतु रावत ने देश के लिए अच्छा काम किया था, इसे हमें ध्यान में रखना होगा । मानवाधिकार कार्यकर्ता, तथाकथित विशेषज्ञ अथवा ‘मुझे कौन अच्छा और कौन बुरा कहेगा’, इसकी उन्होंने कभी चिंता नहीं की । एक सैनिक को सैनिक की भांति काम कर देश को सुरक्षित रखना चाहिए, वही काम जनरल बिपिन रावत ने ३ वर्षाें तक विपरीत परिस्थितियों में किया । इसके लिए हमें उनकी प्रशंसा करनी चाहिए ।
३. सेनादल, वायुदल और नौसेना को एकत्रित रूप से युद्ध लडना आवश्यक !
भारत ने स्वतंत्रता के ७० वर्ष उपरांत यह सुनिश्चित किया कि देश को तीनों सुरक्षादलों में समन्वय रखनेवाले रक्षादलप्रमुख की आवश्यकता है । सेनादल, वायुदल और नौसेना के तीनों दल अलग-अलग काम करते हैं । उन्हें एकत्रितरूप से युद्ध लडना चाहिए; परंतु ऐसा नहीं होता । उसके कारण देश के संसाधनों का उचित उपयोग नहीं किया जाता । उसके लिए एकत्रितरूप से युद्ध लडना आवश्यक है । वर्ष १९७१ का युद्ध इसका उत्कृष्ट उदाहरण है । उस समय फील्डमार्शल माणेक शॉ के नेतृत्व में सभी दल एकत्रित होकर लडे । तब भारत ने कितनी बडी विजय प्राप्त की थी, इससे हम भलीभांति अवगत हैं ।
३ अ. ‘थिएटर कमांड्स’ के माध्यम से भारत की सुरक्षाव्यवस्था अधिक बलशाली होने की स्थिति में आ रही थी, उसी समय बिपिन रावत की मृत्यु होना; परंतु ‘भविष्य में नया सक्षम अधिकारी सेना का नेतृत्व कर रावत का शेष कार्य पूर्ण करेगा’, इसकी निश्चिति होना : जनरल रावत को निश्चितरूप से उसी के अनुसार एकत्रित नेतृत्व करने का कार्य सौंपा गया था । उसे ‘इंटिग्रेटेड थिएटर कमांड्स’ कहा जाता है । उनके माध्यम से थलसेना, वायुसेना और नौसेना एकत्रित पद्धति से काम करते हैं । इसीके फलस्वरूप देश का शस्त्रों पर होनेवालाखर्च अल्प हो सकता था, प्रशासन ने एकत्रितरूप से काम किया होता, साथ ही उन्हें एकत्रित नीति बनाना संभव होता और एकत्रितरूप से प्रशिक्षण भी दिया जा सकता था। अर्थात यह सब चल रहा था और उसमें अच्छी प्रगति होती हुई भी दिखाई दे रही थी । आनेवाले कुछ वर्षाें में ये ‘थिएटर कमांड्स’ तैयार होकर भारत की सुरक्षाव्यवस्था अधिक बलशाली होगी, ऐसा भी दिखाई दे रहा था; परंतु भाग्य को यह स्वीकार नहीं था । ऐसे में रावत की दुर्घटना में दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु हुई ।
इससे देश की बहुत बडी हानि हुई है; परंतु इस देश को अर्थात सेना को इतनी बडी परंपरा प्राप्त है कि जब एक सक्षम अधिकारी चला जाता है, तब वहां दूसरा सक्षम अधिकारी नियुक्त किया जाता है । भारत सरकार निश्चितरूप से नए रक्षादलप्रमुख की नियुक्ति करेगी, इसमें कोई संदेह नहीं । सेना का नेतृत्व करने के लिए रावत के स्थान पर पुनः एक नया सक्षम अधिकारी आएगा और वह उनका अधूरा कार्य पूर्ण करेगा । मैं देश को इतना बताना चाहता हूं कि देश की सुरक्षा में किसी बात का अभाव नहीं रहेगा, इस संबंध में किसी के मन में कोई शंका उत्पन्न न हो ।
४. हेलिकॉप्टर की दुर्घटना के कारण और दुर्घटना न हो; इसके लिए बरती जानेवाली आवश्यक सावधानी
बिपिन रावत १३ लोगों के साथ ‘आई.ए.एफ. एमआई-१७ वी ५’ इस हेलिकॉप्टर से कोयंबटूर से वेलिंग्टन के स्टाफ कॉलेज जा रहे थे और वे कुन्नुर में उतरनेवाले थे; परंतु उससे पहले ही यह हेलिकॉफ्टर दुर्घटनाग्रस्त होकर उसमें १३ लोगों की मृत्यु हो गई ।
५. विमान अथवा हेलिकॉप्टर की दुर्घटनाओं के ४ प्रकार !
५ अ. मेकैनिकल फेल्युअर (यांत्रिक बिगाड) : हेलिकॉप्टर का इंजन बंद हो जाने से दुर्घटना हो सकती है । इस हेलिकॉप्टर का ‘ब्लैक बॉक्स’ मिलने पर दुर्घटना का निश्चित कारण ध्यान में आ सकता है ।
५ आ. पक्षी के कारण होनेवाली दुर्घटना : कोई बडा पक्षी आकर रोटर में फंस जाने से दुर्घटना हो सकती है ।
५ इ. वातावरण में अकस्मात परिवर्तन आना : हेलिकॉप्टर के उडान भरते समय अकस्मात बडा तूफान आने, मूसलाधार वर्षा आरंभ होने अथवा बडा कुहरा आने से दुर्घटना हो सकती है । क्या यह दुर्घटना कुहरे के कारण हुई ?, इसका कारण अन्वेषण के उपरांत सामने आएगा ।
५ ई. पाइलट की चूक : पाइलटविमान को अधिक ऊंचाई पर ले जाए, उचित मोड न ले अथवा उसे ठीक से नहीं उतारे,तो ऐसा हो सकता है । इसलिए निश्चितरूप से चूक कहां हुई और इसके लिए क्या सावधानी बरतनी चाहिए ?, यह आनेवाले समय में स्पष्ट होगा । इससे पूर्व भी ऐसी दुर्घटनाएं हुई हैं और कदाचित आगे भी होंगी; क्योंकि इस परिवहन की कुछ मर्यादाएं होती हैं और कोई भी यंत्र १०० प्रतिशत सुरक्षित नहीं होता ।
६. रावत की दुर्घटना के पीछे खूनखराबे का उद्देश्य हो, तो शत्रु राष्ट्रों को ‘जैसे को तैैसा’ उत्तर देना चाहिए !
सबसे महत्त्वपूर्ण सूत्र यह है कि क्या इस दुर्घटना के पीछे चीन अथवा पाकिस्तान के समर्थक हैं ? क्या उन्होंने कोई खूनखराबा किया है ? क्या उन्होंने ‘रोटर के स्क्रू’ ढीले किए अथवा क्या इंजिन में कोई खराबी करके रखी होगी ? अथवा क्या ईंधन में कोई मिलावट की होगी ? इन कारणों की खोज भी कुछ समय उपरांत हो सकती है । इस घटना के पीछे यदि खूनखराबा करने का उद्देश्य है, तो ऐसा करनेवाले को पकडकर उसे कठोर दंड देना चाहिए । इस खूनखराबे के पीछे यदि चीन, पाकिस्तान अथवा अन्य देश हो, तो उसे ‘हम आपको जैसे को तैसा उत्तर दे सकते हैं’, यह संदेश देना भी आवश्यक है । कुछ वर्ष पूर्व पाकिस्तान के सर्वेसर्वा और सेनाप्रमुख जनरल जिया उल हक जब एक विमान से जा रहे थे, तब उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त होने से वे उसमें मारे गए । उसके उपरांत यह समाचार मिला कि अमेरिका के गुप्तचर संगठन ‘सीआइए’ ने यह खूनखराबा किया था । आज की इस हेलिकॉप्टर दुर्घटना को देखते हुए ‘चीन ने कोई साइबर आक्रमण तो नहीं किया होगा न ? उन्होंने ‘कम्युनिकेशन सिस्टम’ (संपर्क तंत्र) तो बंद नहीं किया होगा न ?’, ऐसी अनेक संभावनाएं बन सकती हैं । अन्वेषण में ये सब बातें सामने आएंगी । यदि यह खूनखराबा है, तो भारत को ‘जैसे को तैसा’ उत्तर देना ही चाहिए; क्योंकि चीन और पाकिस्तान यही भाषा समझते हैं ।
७. भारत के पहले रक्षादल प्रमुख को ‘सैल्यूट’ (अभिवादन) कीजिए !
जनरल रावत एक वीर, उत्कृष्ट और अष्टपहलू सेनानी थे । भारत के इस पहले रक्षादल प्रमुख को ‘सैल्यूट’ (अभिवादन) करना ही होगा । ‘उनकी आत्मा को शांति मिलने के लिए हमें ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए । इस दुर्घटना में रावत की पत्नी मधुलिका रावत की भी मृत्यु हुई है । उन्होंने सैनिकों और उनके परिवारों के लिए बहुत बडा योगदान दिया है । मेरी जानकारी के अनुसार उनका परिवार और २ लडकियां देहली में हैं । उन्हें बहुत बडा आघात पहुंचा है । उसे सहन करने हेतु ‘भगवान उन्हें शक्ति दें और जनरल रावत की आत्मा को शांति मिले’, यह प्रार्थना करेंगे ।
८. देश के लिए योगदान देनेवाले रक्षादल प्रमुख जनरल रावत को देश की ओर से भावपूर्ण श्रद्धांजली !
जनरल रावत भारत के वीर रक्षादल प्रमुख थे । उन्होंने सेना के लिए बडा योगदान दिया था । कश्मीर की अशांति हो, ईशान्य भारत का विद्रोह हो, चीन की आक्रामकता हो अथवा सीमा पर पाकिस्तान का आक्रमण हो; इन सभी को प्रत्युत्तर देकर उन्होंने देश की सुरक्षा के लिए योगदान दिया । अब वे एक ऐसे वैचारिक स्तर पर थे, जहां तीनों दलों को एकत्रित करने का काम किया जा रहा था । इससे भारत की युद्धक्षमता और सैन्यक्षमता बहुत बढनेवाली थी । देश जनरल रावत का योगदान कभी नहीं भूलेगा । संपूर्ण देश को ही इस रक्षादल प्रमुख को श्रद्धांजली देनी चाहिए । हम यह आशा करते हैं कि उनकी आत्मा को शांति मिलेगी । जय हिन्द !’
– (सेवानिवृत्त) ब्रिगेडियर हेमंत महाजन, पुणे