मुनव्वर फारूकी का समर्थन करने वाले मेरा समर्थन नहीं करते ! – बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन

इस संबंध में, भारत के तथाकथित धर्मनिरपेक्ष कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी दल, समाजवादी दल, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट दल एवं अन्य राजनीतिक दल अपना मुंह क्यों नहीं खोलते ? मुनव्वर फारूकी के लिए एक न्याय तथा तस्लीमा नसरीन के लिए दूसरा न्याय क्यों है ?– संपादक

मुनावर फारुखी

नवी देहली – हास्य-अभिनेता मुनव्वर फारूकी अपने कार्यक्रमों में हिन्दू धर्म एवं हिन्दुओं के संबंध में अपमानजनक टिप्पणी एवं हास्य-विनोद कर रहा था, इसलिए, हिन्दुत्वनिष्ठ  संगठनों ने आंदोलन कर उसे संपूर्ण देश में अपने कार्यक्रम निरस्त करने के लिए बाध्य किया था । इसलिए फारूकी ने कहा है कि, ‘एक हास्य-अभिनेता के रूप में मैं अपनी यात्रा समाप्त कर रहा हूं ।’ तब से भारत के आधुनिकतावादी, धर्मनिरपेक्ष नेता, अभिनेता आदि उसके समर्थन में आगे आ रेहे हैं । इस पर, यह ट्वीट बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने किया था । वे कहती हैं, ‘मैंने सामाजिक माध्यमों पर मुनव्वर फारूकी की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करने वाले लेख एवं वक्तव्य लिखे ; परंतु, मुनव्वर फारूकी की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन करने वाले अधिकांश लोग मेरी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन नहीं करते ।’  तस्लीमा नसरीन ने अपने उपन्यास ‘लज्जा’ में, बांग्लादेश में धर्मांधों द्वारा हिन्दुओं पर किए जा रहे अत्याचारों के संबंध में लिखा है । इस उपन्यास के कारण, धर्मांधों ने तस्लीमा नसरीन की हत्या करने के लिए फतवा निकाला था, जिससे उन्हें देश छोड कर विदेश में शरण लेने के लिए बाध्य होना पडा । २० से अधिक वर्षों से, तस्लीमा नसरीन को आधुनिकतावादी, धर्मनिरपेक्षतावादियों से कोई सहायता अथवा समर्थन नहीं प्राप्त हुआ है । इस संदर्भ में उन्होंने इस ट्वीट में लिखा है ।