जलपाईगुडी (बंगाल) में, मस्जिदों पर ध्वनि-विस्तारक यंत्र का प्रयोग बंद कर दिया गया है, ताकि बच्चों को पढाई करने में कठिनाई न हो ।

पूरे भारत में छात्र पढते हैं, लाखों रोगी तथा ज्येष्ठ नागरिक रहते हैं, अत: उनके पक्ष में ऐसा निर्णय पूरे देश के लिए लिया जाना चाहिए ! – संपादक

जलपाईगुडी (बंगाल) – यहां की एक मस्जिद में, ध्वनि-विस्तारक यंत्र का प्रयोग से अजान प्रसारित न करने का निर्णय किया गया है, जिससे छात्रों को पढाई करने में कठिनाई न हो । मस्जिद ने बच्चों की शिक्षा के लिए जगह भी उपलब्ध कराई है ।

१. मस्जिद के इमाम नजीमुल हक ने कहा, “अब से हम बिना ध्वनि-विस्तारक यंत्र के मस्जिद में अज़ान देंगे ।” (यदि यहां बिना ध्वनि-विस्तारक यंत्र के अज़ान दी जा सकती है, तो पूरे भारत में भी दी जा सकती है । फिर इसके लिए कोई प्रयास क्यों नहीं किया जाता है ?  – संपादक) इससे ध्वनि प्रदूषण नहीं होगा एवं बच्चे शांति से पाठशाला में पढाई कर पाएंगे | यह सर्वविदित है, कि मस्जिदों पर ध्वनि-विस्तारक यंत्र से ध्वनि प्रदूषण होता है । फिर भी प्रश्न उठता है, कि भारत में मस्जिदों द्वारा इतने समय से ध्वनि-विस्तारक यंत्र का उपयोग क्यों किया जा रहा है ! – संपादक)

२. विद्यालय के एक शिक्षक इंद्रनील साहा ने कहा, “हम मस्जिद में अज़ान और नमाज़ के लिए ध्वनि-विस्तारक यंत्र का उपयोग नहीं करने के निर्णय का स्वागत करते हैं । मस्जिद के प्रशासन ने हमारा अच्छा सहयोग किया ।” (यदि मस्जिद के प्रशासन ने सहयोग न किया होता और ध्वनि-विस्तारक यंत्र शुरू रखा होता, तो विद्यालय प्रशासन भयभीत हो, डर के मारे, उसे रोकने का प्रयास नहीं करता ; यह बात भी उतनी ही सत्य है ! – संपादक)