बेंगलुरू के ५० वर्ष पुराने श्री चामुंडेश्वरी मंदिर को अवैध प्रमाणित कर, उसे गिराने का रेल अधिकारियों का प्रयास, संगठित हिन्दुओं ने विफल किया !

  • हिन्दू संगठित होने पर क्या हो सकता है, इसका और एक उदाहरण ! मुसलमान सदैव ही संगठित होकर विरोध करते हैं ; उसके कारण प्रशासन और पुलिस उनके अवैध धार्मिक स्थलों को गिराने का प्रयास करने का भी साहस नहीं दिखाते, इसे ध्यान में लीजिए ! – संपादक

  • हिन्दुओं के मंदिरों को अवैध प्रमाणित कर, उन्हें गिराने का प्रयास करनेवाले रेल अधिकारियों पर कार्यवाही करें ! – संपादक
श्री चामुंडेश्वरी देवी

बेंगलुरू (कर्नाटक) – यहां के वसंतनगर के कैन्टोंमेंट रेल स्थानक से २०० मीटर की दूरी पर स्थित श्री चामुंडेश्वरी देवस्थान को अवैध प्रमाणित कर, उसे गिराने के लिए आए रेल अधिकारियों के विरोध में, संगठित हिन्दुओं ने आंदोलन किया । उसके उपरांत, रेल अधिकारियों ने मंदिर न गिराने का आश्वासन दिया और वे वहां से चले गए । इस आंदोलन में हिन्दू जनजागृति समिति के राज्य प्रवक्ता श्री. मोहन गौडा, सामाजिक कार्यकर्ती श्रीमती मंगला गौरी, देवस्थान के श्री. कृष्णमूर्ति, बजरंग दल के श्री. पुनीतकुमार, हिन्दू महासभा के श्री. सुरेश जैन और श्रद्धालु बडी संख्या में सम्मिलित थे ।

श्री चामुंडेश्‍वरी देवी मंदिर परिसर

१. सवेरे ११ बजे रेल अधिकारी, रेल पुलिसकर्मी और स्थानीय पुलिस उस स्थान पर आए, तब हिन्दुओं और उनके संगठनों ने उनका तीव्र विरोध किया ।

२. इस समय श्री. मोहन गौडा ने कहा कि, “यह मंदिर ५० वर्ष पुराना है और उसके न्यासी रेल अधिकारी ही हैं । यहां प्रतिदिन पूजा होती है । मानचित्र में इस स्थान का उल्लेख ‘देवस्थान की भूमि’, ऐसा है । यहां बिजली का प्रबंध है । आपके पास कुछ प्रमाणपत्र हैं ; इस आधार पर किसी भी कारण से इस मंदिर को गिराया नहीं जाना चाहिए । इसका हम तीव्र विरोध करेंगे । इस मंदिर का संरक्षण करना होगा । मंदिर को बचाने के लिए हम कानूनी लडाई लडेंगे ।”

आंदोलन में हिन्दू

३. इस समय हिन्दुओं की ओर से यह बताया गया कि, “यह भूमि पहले केळदी के राजा ने नीलकंठ केंद्र मठ को प्रदान की थी । इस संदर्भ में प्रमाणपत्र उपलब्ध हैं । इस देवालय में विगत ५० वर्षों से नवरात्रि उत्सव और अमावस्या को संतों को अन्नदान इत्यादि किया जाता है । रेल विभाग ने ही यहां मंदिर बनाने की अनुमति दी थी । इस मंदिर के कारण लोगों, सडक और रेल को कोई बाधा नहीं आती ; इसलिए, इस मंदिर को वैध घोषित किया जाए, ये हमारी मांगें हैं ।”