जामनगर (गुजरात) में कांग्रेस के द्वारा पं. नथुराम गोडसे की मूर्ति की तोडफोड

क्या इसे कांग्रेस की गांधीगिरी कहें ? उठते-बैठते गांधी की अहिंसा के तत्त्वज्ञान का गुणगान करनेवाले कांग्रेसियों की मनोवृत्ति वास्तव में हिंसाचारी ही है, यह वर्ष १९४८ में की गई ब्राह्मणों की और वर्ष १९८४ में सिक्खों की हत्याओं से इससे पहले ही दिखाई दिया है ! अब यही पुनः प्रमाणित हुआ है !- संपादक

कांग्रेस के द्वारा पं. नथुराम गोडसे की मूर्ति की तोडफोड

जामनगर (गुजरात) – यहां के कांग्रेस के अध्यक्ष दिभुगा जडेजा और उनके कार्यकर्ताओं ने हिन्दू सेना द्वारा स्थापित पंडित नथुराम गोडसे की मूर्ति की तोडफोड की । इन कार्यकर्ताओं ने मूर्ति के इर्द-गिर्द भगवा कपडा लगाकर मूर्ति की तोडफोड की ।

हिन्दू सेना ने अगस्त के महिने में जामनगर में पंडित नथुराम गोडसे की मूर्ति स्थापित करने का निर्णय घोषित किया था; परंतु स्थानीय अधिकारियों ने उसके लिए भूमि उपलब्ध कराना अस्वीकार करने से इस संगठन ने ‘नथुराम गोडसे अमर रहे’ के नारे लगाते हुए हनुमान आश्रम में इस मूर्ति की स्थापना की थी ।

हिन्दू महासभा ग्वालियर में पंडित नथुराम गोडसे की मूर्ति स्थापित करेगी !

मूर्ति बनाने के लिए गोडसे को जहां फांसी दी गई थी, उस अंबाला के मध्यवर्ती कारागार की मिट्टी का उपयोग किया जाएगा ।

हिन्दू महासभा ने हरियाणा के अंबाला मध्यवर्ती कारागार से लाई गई मिट्टी से नथुराम गोडसे की मूर्ति बनाने की घोषणा की । हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. जयवीर भारद्वार ने बताया कि इस कारागार में वर्ष १९४९ में नथुराम गोडसे और नारायण आपटे को फांसी दी गई थी । यह मूर्ति ग्वालियर के हिन्दू महासभा के कार्यालय में स्थापित की जाएगी ।