धर्मनिरपेक्ष भारत में, धर्म पर आधारित ‘हलाल अर्थव्यवस्था’ क्यों ?– संपादक
पणजी (गोवा) – “मूल अरबी शब्द ‘हलाल’ का अर्थ, इस्लाम के अनुसार ‘वैध’ है । मूल रूप से मांस के संदर्भ में इसकी मांग के साथ-साथ शाकाहारी भोजन, सौंदर्य प्रसाधन, दवाएं, चिकित्सालय, घरों सहित कई वस्तुओं में भी अब ‘हलाल’ की मांग की जाने लगी है । इसके लिए, ‘हलाल इंडिया’, ‘जमीयत उलेमा-ए-हिंद’ जैसे इस्लामिक संगठनों को शुल्क देकर उनसे ‘हलाल सर्टिफिकेट’ लेना अनिवार्य कर दिया गया है । धर्मनिरपेक्ष भारत में, सरकार के खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) से प्रमाण पत्र प्राप्त लेने के उपरांत, यह निजी इस्लामी प्रमाण पत्र प्राप्त लेना अनिवार्य क्यों है ? शेष बहुसंख्यक हिंदुओं के साथ-साथ, गैर-मुसलमानों पर ‘हलाल’ क्यों थोपा जा रहा है ? जबकि वास्तव में, तथाकथित अल्पसंख्यक मुसलमान, भारत में केवल १५ से १७ प्रतिशत ही हैं ? इसके अतिरिक्त, मैक डॉनल्ड्स और डोमिनोज जैसे विदेशी प्रतिष्ठान भारत में सभी ग्राहकों को हलाल भोजन दे रहे हैं । सबसे महत्वपूर्ण बात यह है, कि हलाल सर्टिफिकेट जारी करने की प्रक्रिया से कमाए गए करोडों रुपये सरकार को नहीं मिलते, अपितु, कुछ इस्लामिक संगठनों को दिए जा रहे हैं । इन प्रमाणपत्रों को जारी करने वाले कुछ संगठन आतंकवादी गतिविधियों में सम्मिलित, कट्टरपंथियों को न्यायिक प्रक्रिया से बचाने के लिए इसे उपयोग में लाते हैं । धर्मनिरपेक्ष भारत में, ऐसी ‘धर्म आधारित समानांतर अर्थव्यवस्था’ का निर्माण देश की सुरक्षा के लिए बहुत गंभीर है तथा सरकार को तुरंत हलाल प्रमाण पत्र जारी करने की प्रथा को बंद करना चाहिए ।” ऐसा आवाहन हिंदू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने किया । वे पणजी में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे । इस समय, हिंदू जनजागृति समिति के श्री. सत्य विजय नाइक भी उपस्थित थे ।
Halal Certification is modern day Jiziya tax !
We will not be forced to pay it anymore ! #Halal_Free_Diwali pic.twitter.com/m8t67zRxCi— HinduJagrutiOrg (@HinduJagrutiOrg) October 27, 2021
श्री. रमेश शिंदे द्वारा प्रस्तुत सूत्र :
१. इससे भी अधिक चौंकाने वाला तथ्य यह है, कि आज भी धर्मनिरपेक्ष देश में, भारतीय रेलवे और पर्यटन निगम जैसे सरकारी प्रतिष्ठान भी हलाल प्रमाणित भोजन ही देते हैं । शुद्ध शाकाहारी ‘नमकीन’ से लेकर सूखे मेवे, मिठाई, चॉकलेट, अनाज, तेल, साबुन, शैंपू, टूथपेस्ट, मस्कारा, लिपस्टिक आदि सौंदर्य प्रसाधन भी ‘हलाल प्रमाणित’ होते जा रहे हैं । इंग्लैंड के एक विद्वान निकोलस तालेब ने इसे ‘अल्पसंख्यक तानाशाही’ कहा है । अगर ऐसा ही चलता रहा, तो यह कहना सही होगा कि भारत ‘इस्लामीकरण’ की ओर बढ रहा है ।
२. “जब भारत सरकार के पास ‘खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण’ है, तो इस्लामिक संगठनों के ‘हलाल प्रमाणपत्र’ जारी करने की भारत में क्या आवश्यकता है ? इस हलाल सर्टिफिकेट के लिए पहले २१,५०० रुपये और प्रत्येक वर्ष नवीनीकरण के लिए १५,००० रुपये लिए जाते हैं । अत:, हलाल से निर्माण होनेवाली समानांतर अर्थव्यवस्था को तोडना नितांत आवश्यक है । इसलिए, इस वर्ष हिन्दुओं को चाहिए कि वो उपभोक्ता के ‘हलाल सर्टिफाइड’ उत्पादों, मैक डॉनल्ड्स और डोमिनोज के भोजन आदि का बहिष्कार करने के अधिकार का उपयोग करें और ‘हलाल मुक्त दिवाली’ में सहभागी हों”, ऐसा आवाहन समिति ने किया है । समिति आंदोलन निवेदन देकर, सामाजिक माध्यम आदि द्वारा देश में जनजागृति कर रही है ।