दीपावली के उपलक्ष्य में विविध प्रतिष्ठानों की ओर से किए जा रहे विज्ञापनों में कुमकुम न लगाई हुई मॉडेल्स दिखाकर हिन्दू धर्मशास्त्र को नीचा दिखाया गया !

इसके विरुद्ध आवाज उठाते हुए #NoBindiNoBusiness’ हैशटैग का उपयोग कर इन हिन्दूद्रोही कृत्यों का विरोध करनेवाली प्रसिद्ध हिन्दुत्वनिष्ठ लेखिका शेफाली वैद्य के ‘हैशटैग’ अभियान का सामाजिक प्रसारमाध्यमों पर उत्स्फूर्त प्रत्युत्तर !

इस प्रकार के हिन्दू धर्म पर किए जा रहे सांस्कृतिक आक्रमणों का विरोध करनेवाली शेफाल वैद्य का अभिनंदन ! ऐसे हिन्दू ही हिन्दू धर्म की सच्ची शक्ति हैं !– संपादक


मुंबई – विविध प्रतिष्ठानों की ओर से विविध समाचारपत्रों और समाचारवाहिनियों पर दीपावली के उपलक्ष्य में वस्त्र प्रावरणों, आभूषणों आदि उत्पादों के विज्ञापन प्रसारित किए जा रहे हैं । दीपावली जैसे हिन्दुओं के पवित्र त्योहार के उपलक्ष्य में विज्ञापन करते समय उनमें हिन्दू धर्म में पवित्र माने गए कुमकुम लगाने की आचारविधि को ही बाहर रखने का कृत्य करनेवाली मॉडल्स बिना कुमकुम लगाए खाली माथे से विज्ञापन में काम कर रही हैं । इससे हिन्दुओं के पवित्र त्योहार के उपलक्ष्य में विज्ञापन करते समय हिन्दू धर्मशास्त्र को बाहर रखने का गंभीर कृत्य इसमें दिखाई दे रहा है । प्रसिद्ध हिन्दुत्वनिष्ठ लेखिका शेफाली वैद्य ने सामाजिक प्रसारमाध्यमों पर इस कृत्य का जोरदार विरोध किया है तथा उनके द्वारा ट्वीटर पर चलाए गए #NoBindiNoBusiness’ हैशटैग का सामाजिक प्रसारमाध्यमों पर उत्स्फूर्त प्रत्युत्तर मिल रहा है, तो कुछ प्रसारमाध्यमों के उपयोगकर्ताआं ने शेफाली वैद्य के विरोध में भी पोस्ट की हैं ।

शेफाली वैद्य ने अपने ट्वीटर खाते से ट्वीट कर संबंधित विविध प्रतिष्ठानों के वस्त्र प्रावरणों, आभूषणों आदि के विज्ञापनों के चित्र रखकर उनका विरोध किया है । उनमें अभिनेत्री सोनाली कुलकर्णी के छायाचित्रवाले पीएन्जी (पु.ना. गाडगीळ) प्रतिष्ठान के आभूषणों के विज्ञापन, साथ ही तनिष्क एवं पी.सी. चंद्रा के आभूषणों के विज्ञापन आदि विज्ञापन अंतर्भूत हैं । इनमें विद्यमान गंभीर सूत्र यह है कि दीपावली जैसे हिन्दुओं के पवित्र त्योहार के उपलक्ष्य में विज्ञापन करते हुए इन विज्ञापनों में अंतर्भूत एक भी महिला ने कुमकुम अथवा बिंदी नहीं लगाई है । शेफाली वैद्य ने अपने ट्वीट के द्वारा इसे दर्शाया है ।

हिन्दुओं से पैसे चाहिएं, तो आप हिन्दुओं की परंपरा का सम्मान करना सिखें ! – शेफाली वैद्य, प्रसिद्ध लेखिका

‘आप कुमकुम लगाएं अथवा केश छोडकर नाचें, वह आपका अधिकार है । सभी महिलाओं को बिंदी लगानी ही चाहिए, ऐसा मैने कोई फतवा नहीं निकाला है । फतवा देनेवाले लोग अलग होते हैं । तब आप इट्स कल्चरल यू नो ! (सांस्कृतिक परंपरा के नाम से समर्थन करना) बुर्के से लेकर सभी का समर्थन करते हैं । मैं इन ब्रैंडस् से स्पष्टता से कहती हूं कि दीपावली हिन्दुओं का त्योहार है । आपको हिन्दुओं के पैसे चाहिए न, तो आप हिन्दुओं की परंपराओं का सम्मान करना सिखें ! हमारे त्योहारों में बिना कुमकुम लगाई हुई महिलाएं सूतकी चेहरा लेकर दिखाई नहीं देतीं, तो विज्ञापनों में यह क्यों होना चाहिए ? ये पैसे मेरे पसीने के हैं, तो उन्हें किस पर खर्च करना है, यह मैं सुनिश्चित करूंगी । सामाजिक माध्यमों पर जब यह हैशटैग ट्रेंड चर्चा में रहा, तब अन्य कई लोगों को मेरे जैसा ही लग रहा था । इसलिए मैने केवल इस असंतोष का मार्ग प्रशस्त बनाया । अभीतक लगभग ७ लोगों ने यह हैशटैग देखा है । उनमें से यदि आधे भी लोगों ने इसे सचमुच मन पर लिया, तो ऐसे ब्रैन्डस् को (प्रतिष्ठित प्रतिष्ठानों को) अपना विज्ञापन बदलना ही पडेगा ।