नागपुर में ‘राष्ट्रीय अंतरधर्मीय परिषद’
नागपुर – इस विश्व को सांप्रदायिक, आर्थिक, राजनीतिक, राजनीतिक और स्वास्थ्यगत (मेडिकल) इन सभी प्रकार के आतंकवाद से बडा संकट है । स्वास्थ्यगत आतंकवाद के विषय में मैने पहले भी जो वक्तव्य दिया था, तब बडा बवाल हुआ था । इसमें राजनीतिक आतंकवाद सबसे उपर है, तो सांप्रदायिक आतंकवाद दूसरे स्थान पर है । इसमें ‘सभी धर्म’ नहीं, अपितु ‘सभी पंथ’, यह उल्लेख होना चाहिए । पानी का एक धर्म, अग्नि का एक धर्म और हवा का भी एक धर्म होता है । अतः सभी मनुष्यजाति का धर्म एक ही हो सकता है । योगगुरु ऋषि तथा हरिद्वार के पतंजली योगपीठ के संस्थापक बाबा रामदेव ने यह मार्गदर्शन किया । यहां के दैनिक ‘लोकमत’ समाचारपत्र समूह के नागपुर संस्करण के स्वर्णमहोत्सवी वर्ष के उपलक्ष्य में २४ अक्टूबर को यहां आयोजित ‘राष्ट्रीय अंतरधर्मीय परिषद में वे ‘धार्मिक सौहार्द के विषय में वैश्विक चुनौतियां और उसमें भारत की भूमिका‘ विषय पर बोल रहे थे । इस परिषद में इस विषय पर विविध धर्माें के आयार्याें की उपस्थिति में महामंथन हो रहा है । इस परिषद के माध्यम से संपूर्ण विश्व में धार्मिक सद्भावना का संदेश पहुंचनेवाला है ।
उन्होंने कहा,
१. मुझे ऐसा कोई काम नहीं करना है, जिसके कारण मेरा देश बदनाम हो जाए । एक अशिक्षित माता-पिता के घर से निकला मेरे जैसा लडका, ७ भाषाएं बोलता है । मैं मराठी और अंग्रेजी भी बोलता हूं । आपके विचारों में दोष नहीं होना चाहिए । आप ने कहां से शिक्षा ली और आप कहां से आए हैं, इसे विचार में नहीं लेना चाहिए ।
२. यह संपूर्ण सृष्टि ईश्वर के विधान से चलती है । देश संविधान से, तो समाज अध्यात्म के आधार से चलता है । राजनेता समाज नहीं चलाते । तपस्वियों ने समाज को बनाया है । भारत को मुख्य रूप से ऋषि-मुनियों ने बनाया है । साधन अलग-अलग हो सकते हैं ; परंतु, साध्य अलग नहीं हो सकता । सभी का बडा धर्म स्वयं का कर्म होता है । स्वयं के कर्म पवित्र होने चाहिएं । इसक लिए, विवेक एवं भाव की पवित्रता आवश्यक होती है । अब कोरोना ने सभी को यह बताया है, कि आप ने यदि योग नहीं किया, तो आपकी सांस रुक जाएगी । एक छोटा सा कोरोना का विषाणु मनुष्य को भयभीत करता है । क्या क्षमता है इस कोरोना की ? एक छोटा सा मच्छर मनुष्य को कष्ट पहुंचाता है । तो किसकी शक्ति अधिक है ?
सौजन्य : TV9 Marathi