तुर्की सरकार के विरुद्ध देशव्यापी आंदोलन से संबंधित आरोपी के मुक्ति की मांग का परिणाम !
तुर्की के आंतरिक प्रश्नों में हस्तक्षेप करने का प्रयास कर रहे शक्तिशाली देशों के राजदूतों को निष्कासित करने का आदेश देने वाले तुर्की से क्या भारत कुछ सीखेगा ? – संपादक
इस्तांबुल (तुर्की) – तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड, डेनमार्क, स्वीडन, फिनलैंड, नॉर्वे एवं न्यूजीलैंड इन १० देशों के राजदूतों को देश छोडने का आदेश दिया है । तुर्की ने इन राजदूतों को ‘अस्वीकार्य व्यक्ति’ घोषित किया है । इन १० देशों के राजदूतों ने कुछ दिन पूर्व एक निवेदन प्रकाशित किया था । तुर्की के व्यवसायी उस्मान कवाला को २०१७ से बिना किसी आरोप के कारावास में बंद किया गया है । इन राजदूतों ने उसकी मुक्ति की मांग की थी । इसपर एर्दोगन ने कहा था कि, ‘इन लोगों (राजदूतों) को सर्वप्रथम तुर्की को समझ लेना चाहिए । यदि वे समझना नहीं चाहते हैं, तो उन्हें देश छोड देना चाहिए ।’
६४ वर्षीय कवाला को २०१३ में हुए राष्ट्रव्यापी सरकार विरोधी आंदोलन से जुडे होने के आरोप से २०२० में मुक्त किया गया था ; हालांकि, बाद में यह आदेश परिवर्तित कर दिया गया एवं उन्हें पुनः बंदी बना लिया गया था । वर्ष २०१६ में, उनपर सत्ता परिवर्तन के प्रयास का आरोप लगाया गया था ।