ISRO SpaDeX Docking Mission : भारत ने अवकाश में जोडे २ अंतरालयान !

  •  इस्रो की और एक सफलता

  • अमेरिका, रूस तथा चीन के पश्चात चौथा देश सिद्ध हुआ !

बेंगलुरू (कर्नाटक) – ‘भारतीय अंतराल संशोधन संस्था’ अर्थात् ‘इस्रो’ द्वारा भारत ने एक लम्बे अंतराल के उपरांत २ यानों को एकत्रित जोडने का (‘डॉकिंग’ का) विक्रम प्राप्त किया है । १६ जनवरी को यह घटना घटी । रूस तथा अमेरिका एवं चीन के पश्चात यानों को अंतराल में जोडनेवाला भारत चौथा देश सिद्ध हुआ है । ‘चंद्रयान-४’, ‘गगनयान’ तथा ‘भारतीय अंतराल स्थानक’ समान उपक्रम इस मोहिम की सफलता पर निर्भर थे। ‘चंद्रयान-४’ मुहिम में चंद्र की मिट्टी के नमूने पृथ्वी पर लाए जाएंगे, जबकि ‘गगनयान मुहिम में भारतीयों को अंतराल में भेजा जाएगा ।

१. इस्रो ने ३० दिसंबर ,२०२४ को रात्रि १० बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतराल केंद्र से अंतराल ‘डॉकिंग’ प्रयोग उपक्रम को प्रक्षेपित किया था ।इसके अंतर्गत ‘पीएस्एलवी-सी ६० रॉकेट’ की सहायता से पृथ्वी से ४७० कि.मी.पर २ अंतरालयान नियुक्त किए गए ।

२. ७ जन‍वरी को यह अंतराल यान जोडना था; परंतु फिर ८ जनवरी को डॉक करने का प्रयास किया गया । परंतु तब भी अंतरालयान ३ मीटर के पास लाने पर तांत्रिक अडचनों के कारण ‘डॉकिंग’ नहीं हो सका । अंतत: १६ जनवरी को यह उपक्रम सफल हुआ ।

३. इन २ अंतरालयानों में ठेठ संपर्क नहीं था । उन्हें भूमि के उपर से मार्गदर्शन किया गया । दोनो अंतरालयान एक-दूसरे के समीप लाए गए । अब आगामी कुछ दिनों में २ अंतरालयानों में विद्युत ऊर्जा हस्तांतरण का प्रात्यक्षिक किया जाएगा । तत्पश्चात यह यान एक-दूसरे से स्वतंत्र होंगे तथा दोनों ही आगे का कार्य आरंभ करेंगे । ये यान अनुमानत: २ वर्ष तक बहुमूल्य जानकारी भेजनेवाले हैं ।

४. भारत ने इस ‘डॉकिंग’ यंत्रणा का ‘पेटंट’ (स्वामित्व) लिया है तथा इस ‘डॉकिंग’ यंत्रणा को ‘इंडियन डॉकिंग सिस्टम’, नाम दिया गया है । कोई भी अंतराल संस्था इस अत्यंत जटिलता की प्रक्रिया का ब्यौरा उजागर नहीं करती, इसलिए भारत को स्वयं अपनी ‘डॉकिंग’ यंत्रणा विकसित करनी पडी । १६ मार्च ,१९६६ को अमेरिका ने प्रथम बार यानो का ‘डॉकिंग’ किया था ।