प्रतिबंध की अधिसूचना गायब होने पर देहली उच्च न्यायालय का आदेश
नई दिल्ली – विदेशी लेखक सलमान रुश्दी की पुस्तक ‘द सैटेनिक वर्सेज’ को 1988 में भारत में प्रतिबंधित कर दिया गया था । अब देहली उच्च न्यायालय ने पुस्तक पर से प्रतिबंध हटा दिया है क्योंकि सरकार प्रतिबंध संबंधी अधिसूचना न्यायालय में पेश नहीं कर पाई है । न्यायालय ने कहा कि चूंकि अधिकारी प्रतिबंध संबंधी अधिसूचना पेश नहीं कर सके, इसलिए यह माना जाना चाहिए कि इसका अस्तित्व ही नहीं है ।
🚨📚 After 35 years, the ban on Salman Rushdie's "The Satanic Verses" has been lifted in India! 🇮🇳
Delhi High Court made the ruling due to the government's inability to produce the 1988 ban notification.
This landmark decision comes after a 2019 petition to import the book.
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) November 9, 2024
प्रकरण क्या है ?
वर्ष २०१९ में संदीपन खान नाम के शख्स ने इस पुस्तक के आयात को लेकर याचिका दायर की थी । संदीपन ने कहा कि उन्होंने ‘द सैटेनिक वर्सेज’ पुस्तक की मांग की थी; लेकिन ३६ वर्ष पहले सीमा शुल्क विभाग द्वारा प्रसारित एक अधिसूचना के कारण पुस्तक का आयात नहीं किया जा सका । हालांकि यह अधिसूचना किसी भी आधिकारिक जालस्थल पर उपलब्ध नहीं थी और न ही इससे संबंधित दस्तावेज़ किसी संबंधित प्राधिकारी के पास उपलब्ध थे ।
क्या है पुस्तक में ?
उपन्यास ‘द सैटेनिक वर्सेज’ का हिंदी में अर्थ शैतानी आयतें’ हैं । मुसलमानों ने इस पुस्तक के नाम पर आपत्ति जताई । इस पुस्तक में रुश्दी ने एक काल्पनिक कहानी लिखी है । कहानी यह है कि दो फिल्म अभिनेता हवाई जहाज से मुंबई से लंदन की यात्रा कर रहे हैं । इनमें से एक हैं अभिनेता जिब्रील और दूसरे हैं ‘वॉइस ओवर आर्टिस्ट’ सलाउद्दीन । एक खालिस्तानी
आतंकवादी ने विमान का अपहरण कर लिया । इसके उपरांत जब विमान अटलांटिक महासागर के ऊपर से जा रहा था तो एक आतंकवादी ने विमान में बम विस्फोट कर दिया । इस घटना में जिब्रील और सलाउद्दीन दोनों समुद्र में गिर गये, लेकिन बच गये । इसके बाद दोनों की जिंदगी बदल जाती है । एक दिन जिब्रील को सपने में एक विशेष धर्म के संस्थापक के जीवन से जुड़ी कुछ कहानियां आईं । इसके पश्चात वह उस धर्म के इतिहास को नए ढंग से उपस्थित करने के विषय में विचार करता है । इस्लाम का अनादर करने वाली उन कहानियों के कारण पुस्तक का विरोध होने लगा । भारत इस उपन्यास पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला देश था । फरवरी १९८९ में, मुंबई में मुसलमानों ने रुश्दी के विरुद्ध बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया । उस समय पुलिस ने की गोलीबारी में १२ लोगों की मृत्यु हो गई थी और ४० से अधिक लोग घायल हो गए थे ।
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खुमैनी ने १९८९ में रुश्दी के विरुद्ध फतवा जारी किया था । २ वर्ष पूर्व रुश्दी पर अमेरिका में आक्रमण हुआ था । इसमें उनकी एक आंख चली गयी ।