कोलकाता में पहली बार श्री दुर्गादेवी की सार्वजनिक स्थान पर की जाने वाली पूजा महिला पुजारी करेगी !

स्त्रियों द्वारा पूजा करना यदि धर्मशास्त्रानुसार सुसंगत होगा, तो भी वेदोक्त मंत्रों का उच्चारण करने के लिए स्त्रियों को कुछ मर्यादा है । स्त्रियों की जननेंद्रिय यह शरीर के अन्दर होने से मंत्रोच्चार से निर्माण होने वाली शक्ति के कारण उनके ऊपर परिणाम हो सकता है । इसी कारण धर्मशास्त्र में ऐसा बताया गया है; लेकिन ढोंगी स्त्री मुक्तिवाद और धर्मशास्त्र के विषय में घोर अज्ञान के कारण ‘महिला पुजारियों की नियुक्ति’ जैसे मामले सामने आ रहे हैं ! – संपादक

पॉलोमी चक्रवर्ती, सेमांती बनर्जी, डॉ. नंदिनी भौमिक और रूमा रॉय

कोलकाता (बंगाल) – इसबार बंगाल में श्री दुर्गादेवी की सार्वजनिक स्थान पर की जाने वाली पूजा पहली बार ४ महिला पुजारी करेंगी । इतिहास में पहली बार ऐसी घटना हो रही है । शहर के ‘साऊथ कोलकाता क्लब’ ने यह निर्णय लिया है ।

१. इस विषय में पूजा समिति के प्रद्युम्न मुखर्जी ने बताया कि, खुंटी पूजा से लेकर (मंडप बनाने की प्रारंभ की पूजा) विजयादशमी तक की पूजा किसी भी महिला पुजारी ने इसके पहले कभी नहीं की; लेकिन हमारे क्लब में ४ महिला पुजारियों का यह दल पूजा कर नई परंपरा की शुरूआत करेगा । पूजा करने का उनका स्वतंत्र तरीका है । (इन महिलाओं की पूजा की स्वतंत्र शैली के संबंध में उन्होने बंगाल से जुडे़ पुरी पीठ के शंकराचार्य का मार्गदर्शन लिया है क्या ? धर्मशास्त्र पर आधारित पूजा करने से जजमान और पुरोहित (पुजारी) को आध्यात्मिक स्तर पर लाभ होता है, यह ध्यान रखें ! – संपादक) डॉ. नंदिनी भौमिक, रूमा रॉय, सेमांती बनर्जी और पॉलोमी चक्रवर्ती ये महिलाएं यह पूजा करने वाली हैं । वे पिछले एक दशक से शहर में विवाह, गृहप्रवेश ऐसे महत्वपूर्ण समारोहों में पुरोहित के रूप में काम कर रही हैं; लेकिन पुजारी के रुप में पहली बार ही मूर्तिपूजा करेंगी । ‘लोग इस बदलाव को स्वीकार करेंगे, ऐसी हमारी अपेक्षा है’, ऐसा उनका कहना है ।

२. डॉ. नंदिनी भौमिक ने कहा कि, आजकल लोग पूजा विधि में मन से सहभागी होने की अपेक्षा अन्य बातों में अधिक सहभागी होते हैं । ऐसे लोग पूजा कार्य में प्रेम से सहभागी हों, यह देखना हमारा प्रमुख उद्देश्य है ।