नेपाली नागरिकों द्वारा चीनी अतिक्रमण के विरुद्ध आंदोलन !

इस प्रकार के आंदोलन का चीन पर कोई परिणाम नहीं होगा । इसके बजाय, लोगों को नेपाल की सरकार पर दबाव बनाना चाहिए और उसे चीन विरोधी दृष्टिकोण अपनाने के लिए बाध्य करना चाहिए ! – संपादक

काठमांडू (नेपाल) – चीन द्वारा किए गए अतिक्रमण के विरोध में, नेपाल के लोगों ने आंदोलन किया । चीन को अपने विस्तारवादी वृत्ति को नियंत्रित करना चाहिए और नेपाल के हस्तगत किए हुए क्षेत्रों को नेपाल को वापस करना चाहिए । प्रदर्शनकारियों ने, “चीन को हमारी भूमि वापस करनी चाहिए” एवं “चीन वापस जाओ” के नारे भी लगाए । आंदोलन का आयोजन काठमांडू के लोकतांत्रिक युवा मंच द्वारा किया गया था । इसमें लगभग २०० नागरिकों ने भाग लिया ।

१. एक प्रतिवेदन के अनुसार, चीन ने नेपाली भूमि पर निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया है और अब तक १२ से १५ वास्तुओं का निर्माण कर चुका है । नेपाल के लोगों ने मांग की है, कि नेपाल की भूमि का अतिक्रमण कर इन इमारतों का निर्माण किया गया है, अत: इन्हें त्वरित हटाया जाए । इस कारण, प्राय: चीनी और नेपाली नागरिकों के बीच संघर्ष होता रहता है । नेपाली नागरिकों ने, चीनी नागरिकों को प्रवेश न करने देने की भूमिका अपनाई है ।

२. नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर थापा ने मामले की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है । समिति नेपाल के हुमला क्षेत्र में चीन द्वारा किए गए अतिक्रमण का अध्ययन करेगी और सरकार को उसका विवरण  देगी ।

३. इसके पूर्व, के.पी. ओली शर्मा के नेतृत्व वाली सरकार ने दावा किया था, कि चीन की ओर से कोई अतिक्रमण नहीं गया है । उनकी सरकार ने भी १९ सदस्यों की एक समिति नियुक्त की थी । किन्तु, उसके उपरांत भी चीन का अतिक्रमण जारी है और नेपाली नागरिकों का इस क्षेत्र में रहना कठिन होता जा रहा है ।