इससे समाज के प्रत्येक घटक को साधना सिखाना क्यों आवश्यक है, यह ध्यान में आता है ! हिन्दू संस्कृति में गर्भवती महिला को धार्मिक ग्रंथों का वाचन करना, साधना करना, आदि बातें करने को बताई जाती हैं । यह क्यों आवश्यक है, यह इस अध्ययन से ध्यान में आएगा ! – संपादक
लंदन (ब्रिटेन) – गर्भावस्था के समय जो महिलाएं निराश रहती हैं उनके बच्चों की मानसिक स्थिति पर बुरा परिणाम होता है । ये बच्चे बडे़ होने पर उनमें निराशा की मात्रा अन्य बच्चों की तुलना में अधिक होती है, ऐसा ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के मानसिक उपचार विशेषज्ञों ने एक अध्ययन के आधार पर यह दावा किया है । १४ वर्ष यह अध्ययन चला । इस समय में ५ सहस्र से अधिक बच्चों की उम्र २४ वर्ष होने तक उनके मानसिक स्वास्थ्य की ओर नियमित ध्यान रखा गया ।
Children at risk of depression if mothers depressed during and after pregnancy: Study https://t.co/t1WenIQNtl
— Hindustan Times (@HindustanTimes) September 25, 2021
१. मानसिक उपचार विशेषज्ञों के मतानुसार, डेलिवरी के बाद यदि महिला निराश रहती है, तो भी बच्चे पर इसका परिणाम हो सकता है । गर्भावस्था और बच्चे के जन्म के बाद भी माता-पिता को उनके मानसिक स्वास्थ्य की ओर ध्यान देना आवश्यक है ।
२. जिन बच्चों की माताओें को डेलिवरी के बाद निराशा का सामना करना पडा, ऐसे बच्चों की युवावस्था में निराशा की स्थिति और बुरी हो गई । इसकी तुलना में जिन महिलाओं को गर्भावस्था के समय में मानसिक कष्ट हुए, उनके बच्चों में निराशा का स्तर लगभग इतना ही था । जिन बच्चों की मां गर्भावस्था और डेलिवरी इन दोनों समय में निराश थी, ऐसे बच्चों को सर्वाधिक मानसिक कष्ट हुआ ।
३. ‘रॉयल कॉलेज ऑफ सायकैट्रिस्ट’ इस मानसिक उपचार विशेषज्ञ संघठन के डॉ जोआन ब्लैक ने कहा कि, यदि माता-पिता पर परिणाम हुआ होगा, तो बच्चों को भी भविष्य में मानसिक समस्याओं का सामना करना पडता है । इसपर अच्छी बात यह कि इस पर उपचार हो सकता है । केवल जल्द से जल्द सहायता लेने की आवश्यकता है ।
४. ‘रॉयल कॉलेज ऑफ सायकैट्रिस्ट’ के ताजा अंदाज के अनुसार कोरोना काल में १६ सहस्रों से अधिक महिलाओं को डेलिवरी के बाद आवश्यक सहायता नहीं मिल सकी । उन्हें निराशा का सामना करना पडा ।
५. इस शोध समूह की डॉ. प्रिया राजगुरू के मतानुसार, पिता के निराश होने का परिणाम भी बच्चों पर होता है; लेकिन यह केवल एक अवस्था में निराश होने से बच्चों पर कम परिणाम होता है । युवावस्था में बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहे, इसके लिए माता-पिता को बच्चों के जन्म से पहले प्रयास करने पडेंगे ।
६. प्रतिदिन देश में २ सहस्र से अधिक किशोर बच्चे नेशनल हेल्थ सर्विस के (एन्.एच्.एस्. के) मानसिक स्वास्थ्य सेवा की सहायता लेते हैं । इससे उनका मानसिक स्वास्थ्य कितना बिगडा़ है, इसका अंदाज लगा सकते हैं । एन्.एच्.एस्. के आंकडोंनुसार केवल एप्रिल से जून के दौरान १८ वर्ष से नीचे १ लाख ९० सहस्र किशोर बच्चों को एन्.एच्.एस्. मानसिक स्वास्थ्य सेवा के लिए भेजा गया । ‘रॉयल कॉलेज ऑफ सायकैट्रिस्ट’ के मानसिक उपचार विशेषज्ञों के अनुसार, इन बच्चों पर पहले से ही दबाव था । कोरोना के कारण उसमें और बढोतरी हुई है ।