हिन्दू अल्पसंख्यक हो जाने के कारण, निर्माण हुई समस्याएं ! -सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत

 जहां हिन्दू अल्पसंख्यक हैं, वहां भी उन्हें सुरक्षित रखने के लिए भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने का कोई विकल्प नहीं है !

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत

उदयपुर (राजस्थान) – जहां विभिन्न कारणों से हिन्दुओं की जनसंख्या अल्प हो गई है, वहां समस्याएं निर्माण हो गई हैं । ऐसा वक्तव्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने यहां एक कार्यक्रम में किया । ‘हिन्दू राष्ट्र की सर्वोच्च महिमा से विश्व का कल्याण होगा’, ऐसा विश्वास भी डॉ भागवत ने व्यक्त किया । उसी प्रकार ‘कोरोना काल में संघ के स्वयंसेवकों द्वारा की गई निस्वार्थ सेवा ही हिन्दुत्व है’, ऐसी हिन्दुत्व की परिभाषा उन्होंने की ।

सरसंघचालक डॉ भागवत ने कहा,

१. हिन्दू सनातन संस्कृति के अनुयायी हैं । सनातन संस्कृति की विचारधारा के संस्कार संपूर्ण संसार का विचार करने की सीख देते हैं । हिन्दुओं की विचारधारा में शांति एवं सत्य इन दो बातों का समावेश है । ‘हम हिन्दू नहीं हैं’, जैसा एक अभियान देश एवं समाज को दुर्बल बनाने के उद्देश्य से चलाया जा रहा है ।

२. अनेक पीढियों से इस पुण्य क्षेत्र में रह रहे उन पूर्वजों के हम वंशज हैं, तथा हम सभी हिन्दू हैं । यही हिन्दुत्व का भाव है ।

(कहते हैं) ‘जहां मुसलमान अल्पसंख्यक हैं, वहां मुसलमानों का उत्पीडन होता है !’ – एमआईएम

एमआईएम के आसिम वकार

एमआईएम के आसिम वकार ने सरसंघचालक के वक्तव्य की आलोचना की है । उन्होंने कहा, कि जहां भी मुसलमान अल्पसंख्यक हैं, वहां उनपर अत्याचार हुए हैं, ऐसा हम देखते हैं, चाहे वह गुजरात हो अथवा महाराष्ट्र । दोहा, कतर, दुबई अथवा ओमान में कहीं भी मुसलमानों को हिन्दुओं पर अत्याचार करते हुए हम नहीं देखते हैं । (हिन्दुओं पर अत्याचार हो रहे हैं पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान जैसे भारत के पडोसियों का नाम लेना पाखंडी भोलेपन से टालने वाले वकार ! – संपादक) गुजरात सहित, भारत में अनेक स्थानों पर मुसलमानों के विरुद्ध हुए अत्याचार सीमा पार कर चुके हैं । (असत्य बोलने वाले आसिम वकार ! गुजरात में ऐसी कितनी घटनाएं सामने आई हैं, इसका संख्यात्मक विवरण प्रस्तुत करें वकार ! – संपादक) इसलिए, भागवत को अपने वक्तव्य पर पुनर्विचार करना चाहिए । (वकार कश्मीर की बात क्यों नहीं करते ? देश के अनेक जनपद मुसलमान-बहुल हो चुके हैं, वहां के हिन्दुओं की स्थिति पर वकार चुप क्यों हैं ? – संपादक)