चेन्नई (तमिलनाडु) – तमिल विश्व की प्राचीन भाषा है । यह ईश्वरीय भाषा भी है । तमिल भाषा का जन्म भगवान शिव के डमरू से हुआ था ।पौराणिक कथा के अनुसार, शिव ने प्रथम अकादमी (प्रथम तमिल संगम) की अध्यक्षता की थी । शिव ने तमिल कवि के ज्ञान का परीक्षण करने के लिए थिरुविलयादल, यह खेल भी खेला । अर्थात्, तमिल भाषा देवताओं से जुडी हुई है । मद्रास उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि, पूजा एवं पाठ में ऐसी ईश्वरीय भाषा का प्रयोग किया जाना चाहिए ।
Tamil is a language of Gods, says Madras high court https://t.co/bs6HKQnBLM
— Hindustan Times (@HindustanTimes) September 13, 2021
न्यायालय ने आगे कहा कि,
१. वास्तव में, विभिन्न देशों, धर्मों, विभिन्न परंपराओं का अस्तित्व था और पूजा की पद्धति भी संस्कृति और धर्म के अनुसार परिवर्तित हो गई ; परंतु, केवल ‘संस्कृत ही ईश्वर की भाषा है’ ऐसा माना गया है । संस्कृत की तुलना में कोई भी भाषा नहीं है । संस्कृत एक प्राचीन भाषा है । उसमें प्राचीन साहित्य की रचनाएं हुई हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है ; परंतु, ‘ईश्वर के अनुयायियों की प्रार्थना केवल संस्कृत में वेदों का पाठ करने के पश्चात ही सुनी जाती है’, ऐसी धारणा बनी हुई है ।
२. साधारण लोगों द्वारा बोली जाने वाली प्रत्येक भाषा ईश्वरीय भाषा है । मनुष्य, भाषा नहीं बना सकता है । भाषाएं युगों से सहअस्तित्व में हैं । भाषा एक पीढी से दूसरी पीढी को हस्तांतरित होती है । वर्तमान भाषा में केवल संशोधन किया जा सकता है । भाषा की निर्मिति नहीं की जा सकती है ।