मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरूद्वारा के व्यवस्थापन के लिए एक समान कानून बनाए !

उच्चतम न्यायालय में भाजपा नेता और अधिवक्ता (श्री.) अश्विनी उपाध्याय की ओर से याचिका प्रविष्ट !

  • वास्तविक ऐसी मांग ना करनी पडे़ । केंद्र सरकार को स्वयं सामने आकर ऐसा कानून बनाना अपेक्षित है ! – संपादक

  • अन्य समय में ‘अल्पसंख्यकों को समान दर्जा दें’, ऐसी मांग करने वाले आधुनिकतावादी और धर्मनिरपेक्षतावादी ऐसा कानून बनाने की मांग क्यों नहीं करते ? – संपादक


नई दिल्ली – देश के सभी धार्मिक स्थलों का व्यवस्थापन एक समान होना चाहिए, साथ ही हिन्दू, सिक्ख, बौद्ध और जैन के लिए उनके धार्मिक स्थलों का व्यवस्थापन उनके पास ही होना चाहिए, इसके लिए उच्चतम न्यायालय में भाजपा नेता और अधिवक्ता (श्री.) अश्विनी उपाध्याय ने याचिका प्रविष्ट की है । केंद्रीय गृह, विधि और सभी राज्य इनको इस याचिका में प्रतिवादी बनाया गया है ।

इस याचिका में कहा है कि,

१. हिन्दू, सिक्ख, बौद्ध और जैन धर्मियों के धार्मिक स्थानों का व्यवस्थापन सरकार के हाथ में है । मुसलमान, ईसाई और पारसी को जैसे उनके धार्मिक स्थलों का व्यवस्थापन करने का अधिकार मिला है, वैसे ही अधिकार हिन्दू, सिक्ख, बौद्ध और जैन धर्मियों को उनके धार्मिक स्थलों के विषय में मिलना चाहिए ।

२. धर्मादाय कानून के आधार पर सरकार को मंदिर अपने अधिकार में लेने का अधिकार है । इन कानून के अंतर्गत राज्य सरकार हिन्दू, सिक्ख, बौद्ध और जैन इनके धार्मिक स्थलों पर नियंत्रण रख रही है । अंग्रेजों ने वर्ष १८६३ में पहली बार इस संबंध में कानून बनाया था । इसके अंतर्गत हिन्दूओं के मंदिर, मठों सहित सिक्ख, जैन और बौद्धों के धार्मिक स्थल सरकार के नियंत्रण में लेने का अधिकार दिया गया है ।

३. इस कानून के बाद इस प्रकार के अनेक कानून बनाकर सरकार ने हिन्दू, सिक्ख, बौद्ध और जैनों के धार्मिक स्थल नियंत्रण में लिये; लेकिन मुसलमान, ईसाई और पारसियों के धार्मिक स्थल सरकार के नियंत्रण में नहीं हैं । सरकारी नियंत्रण के कारण मंदिर, गुरुद्वारा आदि की स्थिति बुरी हो गई है ।

४. संविधान का अनुच्छेद १४ समानता के विषय में बताता है और १५ भेदभाव रोकता है । लिंग, जाति, धर्म और जन्म स्थान द्वारा भेदभाव नहीं किया जा सकता । साथ ही अनुच्छेद २५ धार्मिक स्वतंत्रता के विषय में बताता है, तो अनुच्छेद २६ प्रत्येक धर्मियों को उनके संस्थाओं का व्यवस्थापन उन्हें ही करना चाहिए, ऐसा अधिकार देता है; लेकिन राज्य के कानून के कारण हिन्दू, सिक्ख, बौद्ध और जैन को संविधान में दिए अधिकारों से वंचित रहना पड़ रहा है ।

याचिका के माध्यम से की गई मांगें 

१. मुसलमान, ईसाई और पारसियों को जैसे उनके धार्मिक स्थलों का व्यवस्थापन करने का अधिकार मिला है, वैसा अधिकार हिन्दू, सिक्ख, बौद्ध और जैन धर्मियों को भी मिलना चाहिए ।

२. हिन्दू, सिक्ख, बौद्ध और जैन धर्मियों को धार्मिक स्थलों के लिए चल और अचल संपत्ति बनाने का अधिकार मिलना चाहिए ।

३. वर्तमान में मंदिरों को नियंत्रित करने के जो कानून हैं, उन्हें रद्द करना चाहिए ।

४. केंद्र और विधि आयोग को निर्देश देकर सभी धर्मियों के लिए ‘कॉमन चार्टर फॉर रिलिजियस एंड चैरिटेबल इन्स्टिट्यूट’ के लिए प्रारूप तैयार कर एक समान कानून बनाना चाहिए ।