जेएनयू एवं ‘टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान’, इन विश्वविद्यालयों के छात्र आतंकवादी गतिविधियों में सहभागी !

शहरी नक्सलवाद के प्रकरण में बंदी बनाए गए आरोपियों के संबंध में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण का चौंकाने वाला खुलासा !

भारत विरोधी घोषणाएं करनेवाले एवं नक्सलवादी गतिविधियों में सम्मिलित आरोपियों का समर्थन करने वाले ‘जेएनयू’ एवं टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान के छात्र भी देशद्रोही ही हैं । जांच तंत्रों ने इस प्रकरण की गहन जांच कर राष्ट्र-विरोधी शक्तियों को नष्ट करना चाहिए ! – संपादक


मुंबई – ‘शहरी नक्सलवाद के प्रकरण में आरोपी अपनी सरकार स्थापित करना चाहते थे । इसलिए, उन्होंने वर्तमान सरकार को उखाड फेंकने के लिए देश के विरुद्ध युद्ध घोषित किया । उनका उद्देश्य विस्फोटकों का प्रयोग कर नागरिकों के मन में भय उत्पन्न करना था । इसलिए, उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान जैसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के छात्रों को आतंकवादी गतिविधियों में सम्मिलित करना आरंभ कर दिया था’, ऐसा भयानक खुलासा राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने विशेष न्यायालय में प्रविष्ट आरोपपत्र के प्रारूप में किया है । वे केंद्र एवं महाराष्ट्र सरकार के विरुद्ध युद्ध घोषित करने वाले थे, ऐसा गंभीर आरोप भी इसमें लगाया गया है ।

इस महीने के प्रारंभ में, राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण ने न्यायालय में यह प्रारूप प्रस्तुत किया है । इसमें नक्सलवाद प्रकरण में बंदी १५ आरोपियों के विरुद्ध १७ आरोप तय किए गए हैं । इनमें ‘अवैध गतिविधियां प्रतिबंध अधिनियम (यूएपीए)’ का भी समावेश है । बंदी किए गए आरोपी प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) के सदस्य हैं । प्रारूप में यह भी कहा गया है कि, ‘पुणे में हुए एल्गर परिषद की बैठक में उत्तेजक लघु नाटक एवं गीत प्रस्तुत किए गए थे ।’ बंदी आरोपियों में अधिवक्ता सुधा भारद्वाज, वर्नोन गोंजाल्विस, वरवर राव, प्रा. आनंद तेलतुंबडे, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रा हनी बाबू, शोमा सेन, गौतम नवलखा, सुरेंद्र गाडलिंग सम्मिलित हैं ।