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ऐसे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में हिन्दू-विरोधी वक्तव्य दिए जाते हैं । इसे रोकने के लिए, हिन्दुओं को वैधानिक पद्धति से इसका विरोध कर, वैचारिक प्रतिवाद करने की आवश्यकता है ! – संपादक
मुंबई – ‘विश्वस्तरीय हिन्दुत्व का विघटन’ (डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिन्दुत्व), इस विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया है । इस सम्मेलन का आयोजन करने के लिए संसार के ४० से अधिक विश्वविद्यालयों ने पहल की है । इनमें अमेरिका के प्रिंसटन, स्टैनफोर्ड, सिएटल, बोस्टन आदि विश्वविद्यालय सम्मिलित हैं । (विगत कुछ वर्षों में विश्व स्तर पर हिन्दुत्व की विचारधारा से बडी संख्या में लोग आकर्षित हो रहे हैं । इसे चुनौती देने के लिए हिन्दू विरोधियों द्वारा इस प्रकार के सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं । विदेशों से हो रहा यह वैचारिक आक्रमण न केवल हिन्दू धर्म के विरुद्ध है ; अपितु, भारत के विरुद्ध भी है । इसलिए, अपेक्षा है कि भारत सरकार समय रहते ही ऐसे विश्वविद्यालयों पर अंकुश लगाएगी ! – संपादक)
The open warfare and targeting of Hindus under the guise of “dismantling Hindutva” is yet another wake-up call to Hindus.
Here are two things that the Hindus need to do.@TheJaggihttps://t.co/GDoeLvoBm0
— Swarajya (@SwarajyaMag) August 16, 2021
१० से १२ सितंबर, इस अवधि में होने वाले इस ‘ऑनलाइन’ सम्मेलन के लिए आनंद पटवर्धन, आयशा किदवई, बानो सुब्रह्मण्यम्, भंवर मेघवंशी, क्रिस्टोफी जाफरेलॉट, कविता कृष्णन, मीना कंदासामी, मोहम्मद जुनैद, नंदिनी सुंदर, नेहा दीक्षित, रितिका खेरा जैसे हिन्दू-द्वेषी वक्ताओं को आमंत्रित किया गया है ।
यह सम्मेलन प्रतिदिन सुबह ९.३० बजे से दोपहर ३ बजे तक आयोजित किया जाएगा । इस तीन-दिवसीय सम्मेलन में ‘वैश्विक हिन्दुत्व’, ‘हिन्दुत्व की राजनीतिक नीति’, ‘राष्ट्र की रूपरेखा’, ‘हिन्दुत्व का दिखावा एवं स्वास्थ्य सेवाएं’ आदि विषयों पर चर्चा की जाएगी ।