मुंबई – सनातन संस्था और हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित गुरुपूर्णिमा महोत्सवों में सनातन के संतों के करकमलों द्वारा ‘व्यष्टि एवं समष्टि साधना, आध्यात्मिक कष्ट एवं आपातकाल के विषय में उपाय’ इन विषयों पर आधारित हिन्दी, कन्नड और अंग्रेजी भाषा के ग्रंथों का लोकार्पण किया गया । इस प्रकार अब तक सनातन के हिन्दी के कुल १८३ ग्रंथ, कन्नड के कुल १८१ ग्रंथ तथा अंग्रेजी के कुल २०४ ग्रंथ प्रकाशित किए गए हैं । ग्रंथ लोकार्पण का विवरण निम्नानुसार है ।
सनातन के ग्रंथ अब ‘ई-बुक’ स्वरूप में भी उपलब्ध !सनातन संस्था के ग्रंथ अब ‘ई-बुक’ (ई-पुस्तक अर्थात किसी पुस्तक का डिजिटल अथवा इलेक्ट्रॉनिक रूपांतरण । इंटरनेट से जुडे हुए संगणक (कंप्यूटर) अथवा ‘स्मार्टफोन’ की सहायता से यह पुस्तक ‘डाउनलोड’ कर पढ सकते हैं ।) स्वरूप में ‘अमेजॉन किंडल’ पर उपलब्ध है । इनमें से ‘त्योहार मनाने की उचित पद्धतियां एवं अध्यात्मशास्त्र’ इस हिन्दी के प्रथम ‘ई-बुक’ का लोकार्पण ‘सनातन प्रभात’ नियतकालिक समूह के भूतपूर्व समूह संपादक पू. पृथ्वीराज हजारेजी के करकमलों द्वारा किया गया । |
आध्यात्मिक कष्ट : इसका अर्थ व्यक्तिमें नकारात्मक स्पन्दन होना । व्यक्तिमें नकारात्मक स्पन्दन ५० प्रतिशत अथवा उससे अधिक मात्रामें होना । मध्यम आध्यात्मिक कष्टका अर्थ है नकारात्मक स्पन्दन ३० से ४९ प्रतिशत होना; और मन्द आध्यात्मिक कष्टका अर्थ है नकारात्मक स्पन्दन ३० प्रतिशतसे अल्प होना । आध्यात्मिक कष्ट प्रारब्ध, पितृदोष इत्यादि आध्यात्मिक स्तरके कारणोंसे होता है । किसी व्यक्तिके आध्यात्मिक कष्टको सन्त अथवा सूक्ष्म स्पन्दन समझनेवाले साधक पहचान सकते हैं । |