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चेन्नई (तमिलनाडु) – हिन्दुओं के मंदिरों का उपयोग पूजाअर्चना होने के स्थान पर वहां शॉपिंग सेंटर बनाए गए हैं, ऐसा कहते हुए मद्रास उच्च न्यायालय ने अपनी अप्रसन्नता व्यक्त की है । इस समय न्यायालय ने प्रशासन के धार्मिक प्रबंधन विभाग को फटकारा है । न्यायालय ने के. सुरेश द्वारा प्रविष्ट की गई याचिका पर सुनवाई करते समय यह आलोचना की । के. सुरेश ‘धर्मसेना’ संगठन के उपाध्यक्ष हैं । यह याचिका कन्याकुमारी के आदिकेशव मंदिर में पूजा के संबंध में प्रविष्ट की गई थी । के. सुरेश का कहना था कि मंदिर में पूजा एवं अनुष्ठान के लिए विशेष मठ होना चाहिए । न्यायालय ने कहा कि इस विषय पर न्यायालय निर्णय नहीं ले सकता । इसके लिए उपयुक्त मंच से संपर्क करें ।
Leasing Out Temple Property For Purposes Unrelated To Worshipping Undermines Heritage Value: Madras High Court @aaratrika_11 https://t.co/mXhik6DoYA
— Live Law (@LiveLawIndia) July 19, 2021
मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा कि,
१. प्रशासन ने मंदिरों के प्राचीन मूल्यों की अनदेखी करते हुए मंदिर परिसर एवं अन्य भूमि व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किराए पर दे दी है ।
२. मंदिर की संपत्ति का उपयोग व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए करने की अनुमति देने के कारण वहां की दुकानें शॉपिंग सेंटर बन गई हैं ।
३. मदुरई में मीनाक्षी अम्मन मंदिर के बाहर लगी आग की घटना से भी लोगों ने सबक नहीं लिया है । (वहां लगी आग में ३० दुकानें जल कर भस्मसातहो गई थीं ।)
४. इस दयनीय स्थिति के लिए केवल धार्मिक प्रबंधन मंडल को दोषी नहीं ठहराया जा सकता , अपितु दुकानें लगाने वाले ठेकेदार भी उतने ही उत्तरदायी हैं । वे किराए अथवा छोटे से अनुज्ञप्ति (लाइसेंस) शुल्क का भुगतान कर अनिश्चित काल के लिए मंदिर की भूमि का उपयोग करते हैं एवं उसके स्वामी बन गए हैं ।
५. दूसरी ओर, मंदिर आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहा है । पुजारियों को समय पर वेतन नहीं मिलता है साथ ही धार्मिक परंपराओं का भी ठीक से पालन नहीं किया जा रहा है ।