निजी अस्पताल पैसे कमाने के यंत्र बने हैं !

  • उच्चतम न्यायालय ने निजी अस्पतालों को फटकार लगाई !

  • गुजरात सरकार की ओर से उच्चतम न्यायालय के अग्नि सुरक्षा संबंधित निर्देशों का पालन  करने वाली अधिसूचना पर न्यायालय का रोष !

नई दिल्ली – निजी अस्पाल पैसे कमाने के यंत्र बने हुए हैं । अस्पताल  ‘रियल एस्टेट’ (जमीन खरीद-बिक्री व्यवसाय) उद्योग बन रहे हैं । मरीजों को संकट के समय सहायता करने की एवज में पैसे कमाना, यह अस्पतालों का ध्येय बन गया है । विशेष यह कि मानवी जीवन को संकट में डालकर यह उद्योग बन रहे हैं । लोगों के प्राण खतरे में डालकर हम अस्पतालों को समृद्ध होने की अनुमति नहीं दे सकते । इसके एवज में अस्पतालों को बंद करना ही ठीक होगा, ऐसे शब्दों में उच्चतम न्यायालय ने निजी अस्पतालों को फटकार लगाई । ‘निजी अस्पतालों को छोटे ‘निवास भवन’ बनाने की अनुमति देने की बजाय राज्य शासन को उत्तम दर्जे के अस्पताल बनाने चाहिए’, ऐसा भी न्यायालय ने इस समय कहा । गुजरात शासन द्वारा जारी की गई अधिसूचना के संदर्भ की याचिका पर सुनवाई के समय न्यायालय ने निजी अस्पतालों को आडे हाथों लिया ।

न्यायालय ने कहा कि यदि हम कोई आदेश देते हैं तो उस पर अधिसूचना जारी कर कोई वर्चस्व नहीं जता सकता। लेकिन गुजरात सरकार ने, ‘अग्निसुरक्षा के मापदंडों पर न्यायालय द्वारा दिए आदेश का वर्ष २०२२ तक पालन नहीं किया, तो भी चलेगा’, ऐसी अधिसूचना निकाल कर अस्पतालों को छूट दी । ऐसा करने से ‘प्रत्येक अस्पताल में योग्य अग्नि सुरक्षा तंत्र लगाए जाने तक लोगों के जलकर मरने की घटनाएं होती ही रहेंगी’, ऐसी टिप्पणी न्यायालय ने की है ।