राष्ट्रगीत के लिए खडे़ न होना राष्ट्रगीत का अपमान है, गुनाह नहीं ! – जम्मू-काश्मीर उच्च न्यायालय की टिप्पणी

राष्ट्रगीत का अपमान मामले में व्याख्याता डॉ. तौसीफ अहमद भट का गुनाह रद्द !

  • ऐसे में ‘काश्मीर में अलगाववादी मानसिकता के लोगों को राष्ट्रगीत के पर्याय में राष्ट्र का अपमान करने की अधिकृत अनुमति मिलने समान होगा’, ऐसा सर्व सामान्य जनता को लगेगा !

  • जिसके मन में देश प्रेम है, उससे राष्ट्रगीत का अपमान होना संभव नहीं, यह भी उतना ही सत्य है !

  • राष्ट्रगीत का अपमान ‘गंभीर गुनाह’ तय कर उसे सीधे कारागृह में भेजने का कानून केंद्र सरकार को बनाना चाहिए, तभी इस देश का अपमान करने का साहस कोई नहीं करेगा !

श्रीनगर – राष्ट्रगीत के लिए खडे़ न रहना राष्ट्रगीत का अपमान हो सकता है; लेकिन यह राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान रोकने के अधिनियम के अंतर्गत गुनाह नहीं हो सकता, ऐसी टिप्पणी जम्मू-काश्मीर उच्च न्यायालय ने की  । इस समय न्यायमूर्ति संजीव कुमार की खंडपीठ ने राष्ट्रगीत के अपमान के मामले में व्याख्याता डॉ. तौसीफ अहमद भट पर प्रविष्ट किया गया गुनाह रद्द कर दिया ।

न्यायालय ने कहा कि, कोई व्यक्ति राष्ट्रगीत रुकवाने का या सभा में रुकावट निर्माण करने का प्रयास करता है, तो वह गुनाह हो सकता है । यह कृति अधिनियम की धारा ३ के अंतर्गत दंडनीय है । इसमें ३ वर्ष का कारावास या सजा  देना, ऐसी सजा का प्रावधान है ।

क्या है मामला ?

भारतीय सेना ने पाक पर किए ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ के उपलक्ष्य में २९ सितंबर २०१८ के दिन बानी (जिला कठुआ) में सरकारी डिग्री कॉलेज में एक समारोह का आयोजन किया गया था । उसमें राष्ट्रगीत के समय डॉ. तौसिफ अहमद भट खडे़ नहीं हुए थे । इस कारण उन पर राष्ट्रगीत का अपमान करने का गुनाह प्रविष्ट किया गया था ।