(कहते हैं) ‘दलितों को सम्मान देने में अल्प पडने से वे धर्मांतरण कर ईसाई बन जाते हैं !’ – तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव

  • दलितों को सम्मान न देने से वह ईसाई नहीं बन जाते, अपितु ईसाई मिशनरी उन्हें लालच देकर उनका धर्मांतरण करते हैं और उसके उपरांत उन्हें अपने हाल पर छोड देते हैं, यह वास्तविकता है । अबतक के सर्वदलीय राजकर्ताओं ने ईसाई मिशनरियों को नहीं रोका; इसके कारण ही यह स्थिति बनी है, इस संदर्भ में राव क्यों नहीं बोलते ?
  • स्वतंत्रता के ७४ वर्ष उपरांत भी सर्वदलीय राजकर्ताओं द्वारा जातियों के नाम पर केवल अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए कार्य करने से दलितों को सम्मान नहीं मिल सकता, यह वास्तविकता है । राजकर्ता प्रामाणिकता के साथ कार्य करते, तो आज ऐसा बोलने की स्थिति नहीं आती !
  • हिन्दू धर्म में जातिव्यवस्था नहीं, अपितु वर्णव्यवस्था है और वह सभी वर्णाें का सम्मान करती है । हिन्दुओं को धर्मशिक्षा न मिलने से ही हिन्दू जातियों में संलिप्त हुए और आज ऐसा बोलने की स्थिति बनी, जो सभी राजनीतिक दलों के लिए लज्जाप्रद है !

भाग्यनगर (तेलंगाना) – तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने कामारेड्डी में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि दलित समुदाय के लोग यदि ईसाई पंथ का स्वीकार कर रहे हैं, तो उसके लिए हमें स्वयं को ही दोषी मानना चाहिए । हम उन्हें संरक्षण देने में अल्प पडते हैं । जब ये लोग धर्मांतरण करते हैं, तब उन्हें अपेक्षित सम्मान दिया जाता है, जिन दलितों को हम नहीं दे पाते । (धर्मांतरण करते समय दिया जानेवाला सम्मान केवल नाटकीय होता है । धर्मांतरण करने के पश्चात उन्हें तुच्छ माना जाता है, यह राव क्यों नहीं बताते ? साथ ही दलितों के लिए अलग चर्च होता है । उच्चवर्णीय ईसाई उनमें घुल-मिल नहीं जाते, इसपर श्री. राव मौन धारण कर रहे हैं, इसे ध्यान में लीजिए ! – संपादक) मैं स्वयं हिन्दू हूं; परंतु दलितों को आज भी निर्धनता के साथ अन्य भी अनेक संकटों का सामना करना पड रहा है, इसे देखकर मुझे बहुत दुख होता है ।

राव ने आगे कहा कि हमारे देश के प्रत्येक व्यक्ति को प्रधानता लेकर निर्धनों और दलितों की सहायता कर उन्हें निर्धनता से बाहर निकालने के लिए प्रयास करने चाहिएं ।