कोई भी पूर्व सूचना दिए बिना ‘फेसबुक’ के ‘पेजेस्’ (पृष्ठ) बंद करने के विरोध में सनातन संस्था की ओर से मुंबई उच्च न्यायालय में आवाहन !

फेसबुक की इस कृति को देखते हुए केंद्र सरकार भी स्वयं के मूलभूत अधिकारों की रक्षा करने में असफल रही है । अर्थ फेसबुक ने केंद्र सरकार के नियम, आदेश को दरकिनार कर यह कृति की है । 


मुंबई – ‘फेसबुक’ के पृष्ठ (‘पेजेस्’) बंद करना, यह अभिव्यक्ति स्वतंत्रता के विरोध में है । ‘फेसबुक’ की यह कृति केंद्र सरकार के अधिकारों का उल्लंघन करती है और बिना किसी कानूनी प्रक्रिया का सहारा लिए भारतीय नागरिकों के मूलभूत अधिकारों पर अंकुश लगाने वाली है, ऐसा कहते हुए सनातन संस्था ने ‘फेसबुक’ के पेज बंद करने की कार्यवाही का मुंबई उच्च न्यायालय में आवाहन किया है । इस याचिका पर १७ जून के दिन न्यायमूर्ति एम.एस. सोनक और न्यायमूर्ति एम.एस. जावलकर की खंडपीठ के सामने इस याचिका पर सुनवाई हुई । ‘फेसबुक’ ने सितंबर २०२० में किसी भी प्रकार की पूर्व सूचना दिए बिना सनातन संस्था के ‘फेसबुक’ के ३ ‘पेजपृष्ठ’ बंद किये हैं । इस विरोध में सनातन संस्था की ओर से यह याचिका प्रविष्ट की गई है ।

सनातन संस्था ने इस याचिका में कहा है, ‘‘ सनातन संस्था के ‘फेसबुक’ के पेज अध्यात्म, धर्म और देशभक्ति  पर आधारित  हैं । फेसबुक पेज, उसपर के लेख, वृत्त आदि हिंदू धर्म के विषय में मार्गदर्शन और उस पर होने वाले आघातों की जानकारी देने वाले हैं । इसका किसी भी व्यापारिक कार्यों से कुछ भी संबंध नही । कोई भी अवसर दिए बिना सीधे ‘पेज’ (पृष्ठ) बंद करना अन्यायपूर्ण है । इसमें सुधार करना आवश्यक है । केवल केंद्र सरकार या न्यायालय के निर्देश के अनुसार ही ‘फेसबुक’ को किसे के ‘पेज’ (पृष्ठ) बंद करने का अधिकार है । फेसबुक की इस कृति को देखते हुए केंद्र सरकार भी स्वयं के मूलभूत अधिकारों की रक्षा करने में असफल रही है । नागरिकों के मूलभूत अधिकारों की रक्षा करना  सरकार का कर्तव्य है ।’’

‘फेसबुक’ ने इस याचिका पर युक्तिवाद करने की तैयारी दिखाई है, इस याचिका पर होने वाली सुनवाई ८ जुलाई तक स्थगित कर दी गई है ।