हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के विरोध का परिणाम !
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मंगलुरू (कर्नाटक) – हिन्दू धार्मिक संस्थाओं, साथ ही धर्मादाय विभाग की ओर से विगत ३ – ४ दशकों से हिन्दू धार्मिक संस्थाओं के अतिरिक्त अन्य धर्मियों की धार्मिक संस्थाओं को आर्थिक सहायता किए जाने की बात उजागर हुई थी । हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों ने इसका विरोध किया । अतः राज्य शासन ने इस प्रकार अन्य धर्मियों की आर्थिक सहायता बंद करने का आदेश दिया है । धर्मादाय विभाग के मंत्री कोटा श्रीनिवास पुजारी ने यह जानकारी दी । इसके अंतर्गत हिन्दुओं के देवालयों के अर्चकों की भांति वार्षिक ४२ से ४८ सहस्र रुपए गौरवधन, साथ ही अन्य धर्मियों को विशेषरूप से मुसलमान संस्थाओं को वर्षासन दिया जा रहा था । इस प्रकार कुल ८५७ धार्मिक संस्थाओं को आर्थिक सहायता दी जा रही थी ।
Karnataka: After VHP’s protest, govt withdraws decision to pay Muslim clerics from Hindu temple fundshttps://t.co/qXltGD9b47
— OpIndia.com (@OpIndia_com) June 10, 2021
यह पैसा मंदिरों का नहीं, अपितु सरकार का ! – धर्मादाय विभाग
इस संदर्भ में धर्मादाय विभाग के आयुक्त के.ए. दयानंद ने यह दावा किया है कि कुल ८५७ धार्मिक संस्थानों में हिन्दुओं के अतिरिक्त अन्य धार्मिक संस्थाओं को वार्षिक ४ करोड २० लाख रुपए दिए जा रहे थे । यह पैसा हिन्दुओं के देवालयों से प्राप्त नहीं था, अपितु सरकार अन्य संस्थाओं के लिए गौरवधन और वर्षासन देने हेतु प्रतिवर्ष अर्थसंकल्प में प्रावधान करती है । यह पैसा हिन्दुओं के देवालयों से आनेवाला पैसा नहीं होता, अपितु वह सीधे सरकारी कोष से आता है; इसलिए कोई भी इस संबंध में अवधारणा न रखें ।
इस वर्ष के पैसों का वितरण हुआ !
एक अधिकारी ने बताया कि हिन्दू धर्मादाय विभाग की ओर से अन्य धर्मियों को पैसे देने पर सरकार ने भले ही प्रतिबंध लगाया हो; परंतु इन संस्थाओं को इस वर्ष के पैसे दिए गए हैं । अतः यह प्रतिबंध अगले वर्ष से लागू होगा । वर्ष २०२०-२१ के लिए गौरवधन और वर्षासन को मिलाकर कुल १५० करोड रुपए दिए गए हैं ।
तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा इस प्रकार पैसों के वितरण के लिए दी थी अनुमति !
धर्मादाय मंत्री कोटा श्रीनिवास पुजारी ने कहा कि राज्य में भाजपा सत्ता में आने से पूर्व पिछली (कांग्रेस) सरकार की ओर से धर्मादाय विभाग के माध्यम से पारित किया गया गौरवधन अन्य धर्मीय प्रार्थनास्थलों को दिया जा रहा था ।