मुंबई – महाराष्ट्र सरकार ने बार बार आने वाले चक्रवातों की विपत्ति को ध्यान में रखते हुए नागरिकों की रक्षा होने के लिए वर्ष २०१९-२० में पालघर, रायगढ, रत्नागिरी एवं सिंधुदुर्ग इन ४ जनपदों में कुल ११ स्थानों पर ‘बहुउद्देशीय चक्रवात आश्रय रण (केंद्र’ )स्थापित करने का निर्णय लया था । इसके लिए ४२.३९ करोड रुपए का प्रावधान भी किया गया था; परंतु निर्धारित १८ महीनों की समय सीमा में ये आश्रय केंद्र स्थापित नहीं किए गए ।
फलस्वरूप, हाल ही में आए ‘ तौक्ते ‘ इस भयंकर चक्रवात ने कोंकण तट को भारी हानि पहुंचाई है ।मकान, फलोद्यान एवं खेतों की अपरिमित हानी हुई । यदि ये निर्माणकार्य निर्धारित समय सीमा में पूर्ण कर लिए जाते, तो ‘फना’, ‘निसर्ग’ एवं ‘तौक्ते’ जैसे निरंतर आए चक्रवातों के समय ये आश्रय केंद्र कोंकण के लोगों के लिए बडे आधार-स्थान सिद्ध होते । इसलिए, बार-बार आने वाले चक्रवातों की विपत्ति को देखते हुए, सरकार ने तत्काल ‘बहुउद्देश्यीय चक्रवात आश्रय केंद्रों’ की स्थापना करनी चाहिए, ऐसी मांग हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य के संगठक श्री सुनील घनवट ने ‘सुराज्य अभियान’ उपक्रम के माध्यम से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से की है।
मुख्यमंत्री ने इस संदर्भ में संबंधित विभाग को आगे की कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं ।राज्य के राजस्व एवं वन विभाग की प्रधान सचिव, साथ ही पालघर, रायगढ, रत्नागिरी एवं सिंधुदुर्ग आदि ४ जनपदों के कार्यवाहक मंत्री क्रमशः अदिति तटकरे, अधिवक्ता अनिल परब, डॉ. उदय सामंत तथा दादाजी भुसे को इस संदर्भ में निवेदन दिया गया है ।
इस निवेदन में आगे कहा गया है कि, वैश्विक जलवायु परिवर्तन एवं बार-बार कम दबाव के पट्टे निर्माण होने के कारण अरब सागर में चक्रवात की मात्रा में वृद्धि हुई है । साथ ही, मौसम विभाग ने भी कहा है कि निकट भविष्य में इस प्रकार के चक्रवात आने की संभावना है ।
वर्ष २०१९-२० में, सरकार ने ४ जनपदों के कालेथर, आचार्य, जामसंडे, विजयदुर्ग, सैतवाडे, हर्णे, एडवण, दिघी, दाभोल, बोरली एवं उसरणी में ‘बहुउद्देश्यीय चक्रवात आश्रय केंद्र’ स्थापित करने का निर्णय लिया था । इन स्थानों पर ये आश्रय-केंद्र समय सीमा निर्धारित कर तत्काल स्थापित किए जाएं । जैसे चक्रवात होने के पूर्व मछुआरों को पूर्व सूचना दी जाती है, उसी प्रकार चक्रवात से प्रभावित होने वाले संभावित क्षेत्र के फल उत्पादकों, किसानों एवं व्यापारियों को भी सतर्क करने के लिए एक तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए । जिससे चक्रवात के पूर्व उपज को संरक्षित कर इन सभी को होने वाली हानि से भी बचाया जा सके । इसके अतिरिक्त, चक्रवात-प्रवण क्षेत्रों में कृषि उपज एवं फलोद्यानों को गंभीर रूप से क्षति होती है, इसलिए वहां कौन सी कृषि उपज लें, चक्रवात से होने वाली हानि को रोकने के लिए क्या सावधानियां बरतनी चाहिए तथा वहां किस प्रकार का (भवन एवं अन्य ) निर्माण किया जाना चाहिए, इस संदर्भ में नागरिकों कादिशादर्शन किया जाना चाहिए । बंगाल एवं ओडिशा राज्यों में चक्रवातों की तैयारी के रूप में लाखों लोगों को प्राथमिकता से स्थलांतरित किया गया था, जिससे संभावित जीवित-हानि को टाला गया । इसी पद्धति के आधार पर महाराष्ट्र राज्य सरकार ने आवश्यक कदम उठाने चाहिए, आदि मांगे भी सरकार के समक्ष रखी गर्इ।