कोरोना काल के आर्थिक संकट में भी महाराष्ट्र सरकार की ओर से वक्फ बोर्ड के लिए ५८ लाख ६० सहस्र रुपए का अनुदान !

यातायात बंदी में भी ठेकेदारी के काम, वेतन, बिजली का देयक आदि के लिए लाखों रुपए का प्रावधान !

कोरोना संकट का सामाजिक भान ध्यान में लेकर, महाराष्ट्र में हिन्दुओं के अनेक मंदिरों ने स्वयंस्फूर्ति से सरकार को करोडों रुपए की आर्थिक सहायता दी है । हिन्दुओं से लिए गए धन का खर्च यदि इस प्रकार अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण के लिए हो रहा हो, तो क्या यह हिन्दुओं को स्वीकार है ?

मुंबई, ६ जून (संवाददाता) – कोरोना के कारण सरकारी कोष पर तनाव है । इसलिए सरकार ने सरकारी कर्मचारियों का वेतन चरणबद्ध पद्धति से देने का निर्णय लिया है । एक ओर, आर्थिक संकट के कारण सरकारी की ओर से आर्थिक सहायता देने का आवाहन भी किया जा रहा है, साथ ही सहायता एवं पुनर्वास मंत्री विजय वडेट्टीवार ने, ‘सरकारी कर्मचारियों के वेतन के लिए सरकार को ऋण लेना पडेगा’, यह वक्तव्य दिया था । ऐसी स्थिति होते हुए भी दूसरी ओर मई से अगस्त २०२१ की अवधि के लिए राज्य सरकार ने ‘महाराष्ट्र राज्य वक्फ बोर्ड’ को‘अनिवार्य राशि’ के रूप में ५८ लाख ६० सहस्र ४०० रुपए का अनुदान दिया है । हाल ही में ‘तौक्ते’ चक्रवाती तूफान में हानिग्रस्त किसानों की आर्थिक सहायता करने के लिए सरकार के पास पर्याप्त धन न होते हुए भी ‘महाराष्ट्र राज्य वक्फ बोर्ड’ के लिए राज्य के कोष से धन की लूट किस लिए ?’, यह प्रश्न उठ रहा है ।

१. वर्ष २०२१-२२ के अर्थ-संकल्प में, महाराष्ट्र राज्य वक्फ बोर्ड के लिए राज्य सरकार ने १ करोड ४८ लाख ३ सहस्र रुपए की राशि का ‘अनिवार्य खर्च’ के रूप में प्रावधान किया है । सरकार की ओर से इस राशि में से १२ लाख ८३ सहस्र ८०० रुपए की पहली किश्त अप्रैल २०२१ में दी गई है ।

२. अर्थ-संकल्प में प्रावधान किए जाने के उपरांत भी कोरोना संकट की आपातकालीन स्थिति का विचार करते हुए सरकार ने अनेक व्ययों में कटौती की है । कोरोना संकट के कारण सरकार का राजस्व बडी मात्रा में थम गया है ; परंतु, तब भी सरकार वक्फ बोर्ड के लिए लाखों रुपए खर्च कर रही है ।

कोरोना काल में ‘वर्क फ्रॉम होम’ होते हुए भी लाखों रुपए का अनुदान किस लिए ?

इस अनुदान में वक्फ बोर्ड के कर्मचारियों के वेतन के लिए १ करोड १७ लाख ७५ सहस्र रुपए का प्रावधान है । दूरभाष, बिजली एवं पानी के शुल्क के लिए ८४ सहस्र रुपए का अनुदान है । कोरोना काल में यातायात बंदी होने के कारण अधिकांश उद्योग और काम बंद हैं । ऐसा होते हुए भी ठेकेदारी के कामों के लिए ११ लाख ५० सहस्र रुपए की राशि दी गई है । यातायात बंदी की अवधि में ‘वर्क फ्रॉम होम’ (घर बैठे काम करने की अनुमति) होते हुए भी कार्यालयीन व्यय के लिए ८ लाख ९२ सहस्र रुपए, तो किराया और करों के लिए ७ लाख ५० सहस्र रुपए राशि का प्रावधान है ।