एलोपैथी की आलोचना करने का प्रकरण !
नवीन उपचार पद्धति के विरुद्ध कोई वक्तव्य न करने का परामर्श !
नई देहली – योगऋषि रामदेव बाबा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अनुसार अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं, यह कहते हुए देहली उच्च न्यायालय ने रामदेवबाबा को एलोपैथी के विरुद्ध अथवा पतंजली के ‘कोरोनिल’ किट के समर्थन में बोलने से रोकना नकार दिया है । देहली मेडिकल एसोसिएशन द्वारा प्रविष्ट याचिका पर सुनवाई के समय न्यायालय ने यह निर्णय दिया । प्रकरण की अगली सुनवाई १३ जुलाई को होनेवाली है ।
‘Medical Association should find a cure for covid instead of wasting court’s time’: Delhi HC refuses to restrain Baba Ramdev’s free speechhttps://t.co/NU3UjcxjOY
— OpIndia.com (@OpIndia_com) June 4, 2021
१. रामदेव बाबा अयोग्य पद्धति से भ्रामक प्रचार कर रहे हैं कि कोरोनिल कोरोना का उपचार है। याचिका में कहा गया है कि वे वर्तमान उपचार अथवा एलोपैथी के संबंध में मिथ्या तथ्यों का प्रसार रहे हैं। न्यायालय ने रामदेव बाबा को सम्मन्स देते हुए परामर्श दिया है कि अगली सुनवाई तक नर्इ उपचार पद्धति के विरुद्ध कोई वक्तव्य न करें । किन्तु तब तक उन पर कोई प्रतिबंध लगाने से न्यायालय ने मना कर दिया है ।
२. न्यायाधीश ने उस समय कहा, कि देहली मेडिकल एसोसिएशन को अभियोग प्रविष्ट करने के स्थान पर जनहित याचिका प्रविष्ट करनी चाहिए थी । यदि मुझे लगता है कि विज्ञान झूठ है अथवा कल मुझे लगे कि होम्योपैथी झूठ है,, तो क्या आप मेरे विरोध में अभियोग प्रविष्ट करेंगे? यह केवल जनमत है। मुझे नहीं लगता कि आपका एलोपैथी व्यवसाय इतना नाजुक है।
न्यायालय का समय व्यर्थ करने के स्थान पर उपचार के लिए समय दें ! – देहली मेडिकल एसोसिएशन को न्यायालय ने फटकारा
देहली मेडिकल एसोसिएशन का पक्ष प्रस्तुत करनेवाले अधिवक्ता राजीव दत्ता ने कहा कि रामदेव बाबा के वक्तव्य ने डॉक्टरों को आहत किया है और भ्रमित करने का प्रकार है । उनके लाखों समर्थक और अनुयायी हैं।
The Delhi high court refused to restrain yoga instructor #Ramdev from making any statements against allopathy or in favour of Patanjali’s Coronil kit, saying he was entitled to his opinion under free speech laws
(@RichaBanka reports)https://t.co/GkFa4mVAZg
— Hindustan Times (@htTweets) June 4, 2021
इस पर न्यायालय ने कहा कि रामदेव बाबा एलोपैथी में विश्वास नहीं रखते। उन्हें लगता है कि योग और आयुर्वेद सब कुछ ठीक कर देता है । वे उचित अथवा अनुचित हो सकते हैं । आप लोग न्यायालय का समय व्यर्थ करने के स्थान पर कोरोना का उपचार खोजने के लिए समय दें । इन शब्दों में न्यायालय ने एसोसिएशन को फटकारा ।
राजीव दत्ता ने कहा कि पतंजलि ने ‘कोरोनिल’ को कोरोना का उपचार बताकर २५ करोड़ रुपए कमाए हैं । न्यायालय ने पूछा, ‘क्या पतंजलि को कोरोनिल की खरीद के लिए उत्तरदायी ठहराया जाना चाहिए ?