एलोपैथिक और आयुर्वेदिक औषधि लेनेवाले रोगी केवल एलोपैथिक औषधि लेनेवाले रोगीयों की तुलना में शीघ्र कोरोनामुक्त हुए ! 

कर्णावती (गुजरात) के कोविड चिकित्सालय का शोध !

संपूर्ण देश में कोरोना के उपचारों में आयुर्वेद को आधिकारिक रूप से सम्मिलित किया जाए, एेसा इस शोध से जनता को लगेगा । केंद्र सरकार को इस पर निर्णय लेना आवश्यक !

कर्णावती (गुजरात) – यहां एशिया के सबसे बड़े चिकत्सालय  के परिसर में स्थापित १,२००  बिस्तरों वाले कोविड चिकित्सालय  में किए गए एक शोध से पता चला है कि ‘कोरोना रोगियों पर एलोपैथी के साथ आयुर्वेदिक उपचार  करना संजीवनी सिद्ध हो रहा है । रोगियों  की सहमति से किए गए उपचार से  रोगी शीघ्र  ठीक हो रहे  हैं। इन उपचारों में सम्मिलित किसी भी रोगी की मृत्यु नहीं हुई है । कुछ रोगियों को गंभीर स्थिति में भर्ती कराया गया था। उपचार राज्य सरकार के मार्गदर्शन में किया गया था। अस्पताल में कोरोना  के २६  रोगियों पर शोध किया गया था।

रोगियों को स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट ग्रुप’-( एसटीजी ) और आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट ग्रुप  (एटीजी ) में विभाजित कर रोगियों पर उपचार किए गए  । एटीजी समूह के रोगियों को एलोपैथी और आयुर्वेदिक दोनों औषधियां  दी गईं, जबकि एसटीजी समूह के रोगियों  आयुर्वेदिक औषधियां  नहीं दी गईं। एटीजी समूह के रोगी एसटीजी  रोगीयों की तुलना में पहले ठीक हुए। किसी को भी गहन चिकित्सा इकाई (आइ.सी.यू.) में नहीं रखना पड़ा और न ही किसी की मृत्यु हुर्इ । ३३ प्रतिशत  अर्थात ८  रोगियों को ३ दिन में ही घर छोड दिया गया । इसके विपरीत, एसटीजी रोगियों को ठीक होने में अधिक समय लगा। एक भी रोगी को  ३ दिनों में घर नहीं छोडा गया ।