मदरसों के शिक्षकों को निवृत्ति वेतन(पेंशन) क्यों दिया जा रहा है ? 

केरल उच्च न्यायालय का पिनराई विजयन सरकार से प्रश्न क्या एेसा निवृत्तिवेतन कभी वेद पाठशालाओं को दिया जाता है ?

धर्मनिरपेक्ष देश में धर्म के आधार पर इस प्रकार भेदभाव करना सरकारी तंत्र के लिए लज्जाजनक! अनेक मदरसों में आतंकवादी तैयार हो रहे हैं एवं वहां आतंकवादी गतिविधियां चलती हैं, ऐसा उजागर होने के उपरांत भी एक भी सरकार उन पर प्रतिबंध लगाने के संबंध में एकशब्द नहींबोलतीइसके विपरीत, अनेक राज्य सरकारें उन्हें अनुदान देती हैं, साथ ही उनके शिक्षकों को पेंशन भी देती हैं ।

तिरुवनंतपुरम – मदरसों में शिक्षकों को पेंशन क्यों दी जा रही है, ऐसा प्रश्न केरल उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति ए. मोहम्मद एवं न्यायमूर्ति कौसर एडप्पागथ की न्याय पीठ ने राज्य के पिनराई विजयन सरकार से पूछा है । मदरसों में शिक्षकों को पेंशन देने के केरल राज्य सरकार के निर्णय को चुनौती देने वाली एक याचिका, यहां के नागरिक संगठन के सचिव मनोज ने अपने अधिवक्ता सी राजेंद्रन द्वारा उच्च न्यायालय में प्रविष्ट की है । उसपर हाल ही में हुई सुनवाई के समय न्यायालय ने सरकार से उक्त प्रश्न पूछा । न्यायालय ने यह भी पूछा कि

१. सरकार ने ‘केरल मदरसा शिक्षा कल्याण कोष’ में योगदान दिया है अथवा नहीं ? मदरसों में शिक्षकों को पेंशन सहित कई अन्य लाभ प्रदान करने के लिए वामपंथी सरकार द्वारा वर्ष २०१९ में ‘केरल मदरसा शिक्षा कल्याण कोष’ की स्थापना की गई थी । इसलिए, याचिकाकर्ता ने इस कोष को ही निरस्त करने की मांग की है ।

२. इस समय तर्क वितर्क करते हुए अधिवक्ता सी. राजेंद्रन ने कहा कि, यह अधिनियम पढने के उपरांत, यह स्पष्ट हो जाता है कि, ‘मदरसे केवल कुरान एवं इस्लाम से संबंधित शिक्षा प्रदान करते हैं’। ऐसी स्थिति में उन्हें आर्थिक सहायता देना पूर्णतः असंवैधानिक एवं धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के विरुद्ध है । न्याय पीठ ने कहा कि, जब केरल के मदरसे एक धार्मिक गतिविधि में सहभाग ले रहे हैं, राज्य सरकार द्वारा उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करने का कारण ही क्या है ?