आई.एम.ए. द्वारा रामदेव बाबा के विरुद्ध प्रविष्ट १ सहस्र करोड रुपए की मानहानि का प्रकरण !
हरिद्वार : जिन लोगों का कोई ‘सम्मान’ नहीं है, वे मेरे विरुद्ध १ सहस्र करोड रुपए का मानहानि का प्रकरण प्रविष्ट कर रहे हैं । ऐसे शब्दों में योगर्षि रामदेव बाबा ने भारतीय चिकित्सा संस्थान (आई.एम.ए.) द्वारा उनके विरुद्ध प्रविष्ट १ सहस्र करोड रुपए के मानहानि के प्रकरण पर अपनी प्रतिक्रिया दी । वे २८ मई को ‘इंटरनेट मीडिया’ के एक ‘सीधे प्रसारित’ कार्यक्रम में बोल रहे थे ।
रामदेव बाबा ने आगे कहा,
१. वर्तमान में देश में धार्मिक, वैचारिक एवं सांस्कृतिक आतंकवाद तेजी से प्रसारित हो रहा है । इसमें यह ‘चिकित्सा-पद्धति आतंकवाद’ नामक एक नया आतंकवाद जुड गया है । हमारा युद्ध उसके विरुद्ध है । एलोपैथी उद्योग लगभग २ लाख करोड रुपए का है । हम इसके विरुद्ध संघर्ष कर रहे हैं । सरकार हमारे साथ हो अथवा न हो, हमारा संघर्ष आरंभ ही रहेगा तथा हम इसमें सफल भी होंगे ।
२. हमारी किसी भी उपचार पद्धति से कोई प्रतिद्वन्दता नहीं है तथा न ही हम उनका विरोध करते हैं । हम आपात स्थिति में एलोपैथिक उपचार की आवश्यकता पहचानते एवं स्वीकारते हैं ; परंतु, इसका अर्थ यह नहीं है कि केवल एक ही उपचार पद्धति अस्तित्व में है ।
३. एलोपैथी में ‘जीवन रक्षक दवाएं’ एवं ‘उन्नत सर्जरी’ है । यदि उसके पास ये २ बातें हैं, तो हमारे पास ९८ बातें हैं । आयुर्वेद एवं प्राकृतिक चिकित्सा किसी ‘सर्जरी’ एवं किसी औषधि के बिना अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करती हैं तथा इनसे १ सहस्र से अधिक व्याधियों पर उपचार किया जा सकता है ।
४. वर्तमान में देश एवं विश्व के विभिन्न चिकित्सालयों में कोरोना के उपचार के लिए उपयोग में लाई जा रही किसी एक औषधि का भी अभी तक कोरोना के उपचार के लिए लागू ‘प्रोटोकॉल’ के अंतर्गत ‘क्लीनिकल ट्रायल’ नहीं हुआ है । तो किस आधार पर इन औषधियों का उपयोग रोगियों पर किया जा रहा है ?