नेल्लोर (आंध्र प्रदेश) की आयुर्वेदिक दवा से दो दिन में ठीक होते हैं कोरोना के रोगी !

  • दवा के लिए हजारों लोगों की भीड !
  • आइ.सी.एम.आर. द्वारा सत्यापन किया जा रहा है !
  • मुख्यमंत्री रेड्डी और उपराष्ट्रपति का दवा की ओर ध्यान !

क्या आयुर्वेद को महत्व न देनेवाले अब इसके संबंध में बात करेंगे ? यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि, यदि आयुर्वेदिक दवाओं का पहले से ही ठीक से अध्ययन किया जाता और कोरोना के इलाज में प्रयोग किया जाता, तो देश में कोरोना के प्रभाव को कम किया जा सकता था और हजारों लोगों की जान बचाई जा सकती थी !

नेल्लोर (आंध्र प्रदेश) – यहां के कृष्णापट्टम गांव में हजारों की संख्या में कोरोना की आयुर्वेदिक दवा लेने के लिए लोग तीन-तीन किमी की लंबी  कतार में खडे दिखाई दे रहे हैं । ‘यह दवा कोरोना का इलाज करती है’, दवा उपयोगकर्ताओं के साथ-साथ दवा निर्माता बोगिनी आनंदय्या ने भी यह दावा किया है । आनंदय्या की दवा नेत्रों में डालने के उपरांत ऑक्सीजन का स्तर बढता है । खास बात यह है कि, आनंदय्या यह दवा निःशुल्क दे रहे हैं ।मुख्य बात यह है कि, कई नेता और अधिकारी उनकी दवा की गुणवत्ता का लाभ उठा रहे हैं और आनंदय्या के प्रति आभार व्यक्त कर रहे हैं । इसकी ओर मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने ध्यान दिया है । दवा की जांच के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आई.सी.एम.आर.) के सदस्यों को आमंत्रित करने के बाद उनकी टीम गांव पहुंच गई है तथा उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने आयुष मंत्रालय के कार्यवाहक मंत्री किरण रिजिजू और आई.सी.एम.आर. के महानिदेशक बलराम भार्गव के साथ इस मामले पर चर्चा की है । उन्होंने सुझाव दिया कि, दवा के अध्ययन और वितरण के लिए कदम उठाए जाने चाहिए ।

१. आई.सी.एम.आर. की टीम ने आयुर्वेदिक औषधिक पौधों की पत्तियों और घटकों की जांच की । उन्होंने आनंदय्या से औषधिनिर्माण प्रक्रिया के विषय में भी जानकारी ली है ।

२. पुलिस ने घोषणा की है कि, दवा के वितरण को रोक दिया जाएगा क्योंकि आई.सी.एम.आर. ने दवा के वितरण की अनुमति नहीं दी है ।अत:  दवा न मिलने पर नागरिक घर लौट गए ।

३. आयुष विभाग के आयुर्वेदिक डॉक्टरों की टीम ने कुछ दिन पहले गांव का दौरा कर दवा की जानकारी ली ।टीम ने सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी जिसमें कहा गया था कि, दवा की प्रभावकारिता, उपचार प्रक्रिया और परिणामों के वैज्ञानिक अध्ययन की आवश्यकता है ।

४. आनंदय्या पिछले कुछ वर्षों से औषधीय पौधों के साथ-साथ आयुर्वेदिक दवाएं भी बना रहे हैं । उन्होंने हाल ही में कोरोना पर एक दवा विकसित की है ।इसमें अदरक, खजूर, गुड, शहद, काला जीरा, काली मिर्च, लौंग, नीम के पत्ते, आम के पत्ते, आंवला, मंदार के पेड व फूलों की कलियां, कांटेवाले बैंगन, आदि का उपयोग किया है ।

कितना भी गंभीर रोगी हो वह दो दिन में ठीक होता है ! – विधायक का दावा

विधायक काकाणी गोवर्धन और पूर्व मंत्री चंद्रमोहन रेड्डी ने कहा कि, रोगी की हालत कितनी भी गंभीर क्यों न हो, दो दिन में ठीक हो जाता है । २४/२५ के सी.टी. स्कोर वाले छाती संक्रमण के रोगियों का संक्रमण शून्य हो जाता है । लोगों की भीड उमडने के उपरांत पुलिस ने सैकडों प्रदर्शनकारियों को हटाते हुए दवा का वितरण रोक दिया है तथा सरकार इसका योग्य परीक्षण होने के उपरांत दवा का वितरण करे, ऐसी लोकायुक्त को इसकी रिपोर्ट की गई है ।

दवा का परीक्षण सकारात्मक !

दवा का परीक्षण जिला कलेक्टर, जिला सर्जन और नेल्लोर के मुख्य आयुर्वेदिक चिकित्सक द्वारा किया गया था ।इस उद्देश्य के लिए नियुक्त समिति के एक विशेषज्ञ ने कहा कि, ‘हमारे सामने एक रोगी का ऑक्सीजन स्तर ८३ था । दवा की २ बूंद आंख में डालने के बाद वह बढकर ९५ हो गया । दवा लेने वाले किसी भी रोगी ने इसकी शिकायत नहीं की । इसके विपरीत, ‘आनंदय्या की दवा ने जीवनदान दिया है’, ऐसी प्रतिक्रिया दी है ।

तीन प्रकार की कोरोना औषधि !

वैद्य आनंदय्या ने कहा, “मेरी दवा रोगियों की जान बचाती है ।” मैं ३ तरह की दवाई देता हूं । कोरोना का संक्रमण न हो, यदि संक्रमण है तो उसे ठीक करती है और ऑक्सीजन के स्तर को बढाती है । मैं दवा के लिए कोई पैसा नहीं लेता और भविष्य में भी नहीं लूंगा ।

सरकार औषधि के उपयोग को प्रोत्साहन देगी !

मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने कहा है कि, सरकार दवा के प्रयोग को बढावा देने पर विचार कर रही है ।इसके लिए अधिकारियों को दवाओं और अन्य सप्लीमेंट्स के वितरण का अध्ययन कर उचित कदम उठाने चाहिए । इस संदर्भ में एक मौखिक आदेश भी जारी किया गया है ।