दाह संस्कार के लिए लकडी न होने के कारण मृतदेह नदी में छोडे जा रहे हैं !
क्या राज्य प्रशासन नींद ले रही है ? यदि ये मृतदेह उन लोगों के हैं जिनकी मृत्यु कोरोना संक्रमण से हुई है, तो इसकी गंभीरता अधिक है । यदि जलाने के लिए लकडी उपलब्ध नहीं है, तो इसे उपलब्ध कराना प्रशासन का दायित्व है । जो दायित्व का निर्वहन नहीं कर रहे हैं, उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए !
बक्सर (बिहार) – विगत २-३ दिनों में उत्तर प्रदेश तथा बिहार में गंगा नदी में अनेक शव मिल रहे हैं । इन शवों का अग्नि संस्कार करने की अपेक्षा उन्हें नदी में बहा दिया जा रहा है । यह परंपरागत रूप से इन राज्यों में किया जाता है, परंतु अब संख्या बहुत अधिक प्रतीत होती है । बक्सर के चौसा में, महादेव घाट पर ४० से अधिक शव तैरते हुए पाए गए हैं । मरने वाले इन लोगों को कोरोना की बाधा होने का भी दावा किया जा रहा है ; परंतु, शव परीक्षण के बिना इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती है, ऐसा प्रशासन ने कहा है । बिहार प्रशासन ने यह भी दावा किया है कि ये शव बिहार के नहीं ; अपितु, उत्तर प्रदेश से बहकर आए हैं ।
१. यहां के स्थानीय निवासी नरेंद्र कुमार मौर्य ने कहा कि, प्रति दिन १०० से २०० शव इस घाट पर लाए जाते हैं । क्योंकि, दाह संस्कार के लिए लकडी की न्यूनता है । मृतक के परिजन दाह संस्कार न करते हुए नदी में शव छोड देते हैं । इसे रोकने के लिए प्रशासन द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया है ।
२. इसी प्रकार उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जनपद में नदी के किनारे शव बहकर आए हैं । इससे पूर्व हमीरपुर एवं कानपुर जनपदों में भी गंगा के किनारे शव मिले थे । कोरोना परीक्षण सुविधाओं की न्यूनता एवं चिकित्सकों की अनुपलब्धता के कारण उत्तर प्रदेश तथा बिहार के गांवों में अनेकों की कोरोना के कारण मृत्यु हो रही है ।