कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कारण भारत में और विशेषकर महाराष्ट्र में बडी मात्रा में पुनः एक बार विविध कठिन संकटों का सामना करना पड रहा है, जिससे वास्तव में उनका उत्पीडन हो रहा है । इसके लिए प्रशासन और नागरिकों की चूकें, भ्रष्टाचार, ढीली कार्यपद्धति और नियोजन के अभाव के कारण समय रहते और अपर्याप्त चिकित्सा, औषधियों का अभाव, चिकित्सकीय अधिकारी और कर्मचारियों का जनता के साथ दुर्व्यवहार आदि अनेक बातें कारण हैं । उसके कारण आजकल कोरोना महामारी के माध्यम से नागरिकों को संकटकाल का दंश झेलना पड रहा है । इसकी विभीषिका सभी के ध्यान में आए; इससे पाठकों को भी संकटकाल की विभीषिका ध्यान में आएगी और इस स्थिति में कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए, यह ध्यान में आ सकेगा ।
‘ऐसे संकटकाल में जीवित रहने हेतु साधना बढाकर भगवान का भक्त बनें !’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले |
नाशिक में ६ सहस्र रुपयों की औषधियों के देयक (बिल) की राशि २६ सहस्र रुपए लगाई गई !
नाशिक – यहां के एक चिकित्सालय में केवल औषधियों का ही देयक २६ सहस्र रुपए बनाया गया था । रोगियों के परिजनों ने इस संबंध में जब उनकी परिचित औषधि की दुकान में पूछताछ की, तब यह धनराशि केवल ६ सहस्र रुपए होने की बात सामने आई । उन्होंने इस घटना के संबंध में फेसबुक लाइव किया । उसके पश्चात चिकित्सालय प्रशासन ने अपने कदम पीछे खींचते हुए केवल ६ सहस्र रुपए का देयक लिया ।
- श्रीरामपुर (जनपद नगर) – १२ अप्रैल को पूरा शहर घूमने पर भी रोगियों को पलंग (बेड) नहीं मिले । पलंग उपलब्ध न होने से यहां एक रोगी की मृत्यु हो गई ।
- बीड और नागपुर – यहां के चिकित्सालय में रोगियों को वास्तव में भूमि पर सुलाकर उनकी चिकित्सा की गई ।
- पुणे – यहां के किसी भी चिकित्सालय में १४ अप्रैल को ‘रेमडेसिविर इंजेक्शन’ की आपूर्ति नहीं की गई । वर्तमान स्थिति में २३ सहस्र रोगी चिकित्सालय में चिकित्सा ले रहे हैं ।
- पुणे – एक चिकित्सालय में ५३७ वेंटिलेटर से युक्त पलंग थे; परंतु वो भी भर गए । इसके कारण रोगियों की दुर्गति हुई ।
जळगांव – यहां ७ दिन उपरांत टीके की आपूर्ति की गई । - लातूर – यहां रेमडेसिवीर इंजेक्शन न मिलने के कारण रोगियों के परिजन जिलाधिकारी कार्यालय पहुंच गए और वहां जाकर उन्होंने इंजेक्शन की मांग की ।
- मुंबई – सुविधा के अभाव में यहां के गोदरेज चिकित्सालय के २५ रोगियों को महापालिका चिकित्सालय में स्थानांतरित करने की स्थिति आ गई ।
- नागपुर – यहां के चिकित्सालय में पलंग उपलब्ध नहीं हैं । रोगियों को भूमि पर सुलाकर ही उन्हें ऑक्सीजन लगाया गया है । १०० से अधिक रोगी चिकित्सालय में प्रवेश मिलने की प्रतीक्षा में हैं ।
जहां कोरोना महामारी की स्थिति गंभीर है, ऐसे में चिकित्सालय,
परीक्षण केंद्र और प्रयोगशालाओं जैसे स्थानों पर प्राप्त अप्रिय अनुभव सूचित करें !
आजकल कोरोना महामारी के रोगियों की संख्या में तीव्रगति से वृद्धि हो रही है । उसके कारण सरकारी, साथ ही निजी चिकित्सालयों में भर्ती हो रहे रोगियों की संख्या भी अधिक है । जो रोगी जांच कराने अथवा चिकित्सा कराने के लिए चिकित्सालयों में जा रहे हैं, उन्हें अनेक अप्रिय अनुभव भी हो रहे हैं, उदा. परीक्षण के लिए नमूने (sample) लेते समय उन्हें उचित मात्रा में न लिए जाने के कारण रोगियों को पुनः नमूने देने के लिए भागदौड करनी पडती है, परीक्षण का ब्यौरा समय पर न देना, परीक्षण ब्यौरे का विस्तृत विवरण न देना, चिकित्सालय में वेंटिलेटर उपलब्ध न होने की बात बताकर रोगियों को चिकित्सा के लिए भर्ती करने से मना करना; परंतु किसी मान्यवर व्यक्ति द्वारा दूरभाष किए जाने पर रोगी को भर्ती करवाकर उसे वेंटिलेटर पर रखना, सरकारी चिकित्सालयों में निःशुल्क मिलनेवाला इंजेक्शन उपलब्ध न होना, जिससे बाहर से सहस्रों रुपए का इंजेक्शन खरीदकर लाने के लिए कहना, अवैधरूप से औषधियों का संग्रह कर कालाबाजारी करना, ब्यौरा न मिलने का कारण बताकर मृतक रोगी का शव परिजनों को न सौंपना, शव सौंपते समय ढीली कार्यपद्धति के कारण शवों की अदलाबदली होना, कोरोना रोगियों का अंतिम संस्कार करने के लिए श्मशान भूमि में स्थान उपलब्ध न होना इत्यादि !
आपको भी इस प्रकार के अप्रिय अनुभव हुए हों, तो आरोग्य साहाय्य समिति को निम्नांकित पते पर तुरंत सूचित करें । समाज के प्रबोधन के लिए ऐसे अनुभव लिखित रूप में भेजना काल के अनुरूप समष्टि साधना ही है, इसे ध्यान में लेकर साधक, पाठक, हितचिंतक, धर्मप्रेमी और विज्ञापनदाता उन्हें स्वयं को अथवा परिचितों को हुए अप्रिय अथवा अच्छे अनुभव तुरंत भेजें ।
आरोग्य साहाय्य समिति
पता : श्रीमती भाग्यश्री सावंत, आरोग्य साहाय्य समिति, ‘मधु स्मृति’, सत्यनारायण मंदिर के निकट, फोंडा, गोवा – 403 401.
संपर्क क्रमांक : 7058885610
इ-मेल : [email protected]